सहमी सांसों को टूटने से बचाएं
Reena Tripathhi
वीराने में यदि दो पक्षियों को छोड़ दिया जाए तो चमन और भी गुलजार हो जाए इसके साथ ही प्रकृति का एक सुंदर रूप हमें दिखाई दे सकता है।
प्रकृति अच्छी तरह जानती है परिवर्तन का नियम ….हरे भरे पत्तों के होने के बावजूद पतझड़ आता है और फिर हमें वीरान पेड़ों में नन्हें लाल पत्तों के रूप में नया जीवन दिखाई देता है। पतझड़ में भी अपना अस्तित्व खिलाने वाला पलास का पेड़ जहां लाल सुर्ख फूलों से भरा रहता है वहीं आसपास के सभी पत्ते झड़कर सृष्टि में सृजन की प्रक्रिया को अपनाकर नए कोमल कपोलों से सृजित होते हैं। यह प्रकृति का अद्भुत रूप है।
एक तरफ हम विज्ञान के युग में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हम प्रकृति को सीमित और कैद करने में भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं , सभी को यह ध्यान देना चाहिए कि प्रकृति ने स्वतंत्रता जन्मजात दी है।लोगों को पक्षी पालना बहुत पसंद होता है इसलिए वे अक्सर अपने घर में चिड़िया,कबूतर या तोते को पाल लेते हैं, अपने सुख के लिए उनकी स्वतंत्रता को कैद में बदल देते हैं। हमारे वास्तुशास्त्र में पक्षियों को घर में पालने से मना किया गया है।वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में पक्षियों को पिंजरे में बंद नहीं करना चाहिए।ऐसा करने से आपके परिवार के लोगो के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है और इसके अलावा घर में नकारात्मक ऊर्जा भी फैलती है। सोच कर देखो शायद ऐसा ही पाएंगे।
किसी भी पक्षी को कैद न करें उसे स्वतंत्र हवा में विचरण करने का अधिकार प्रकृति ने स्वतंत्र रूप से दिया है प्रकृति के सुंदर अंग को अपने थोड़े से वैभव और दिखावे के लिए सुनहरे पिजड़े में कैद ना करें, उन्हें अच्छा लगेगा यदि आप निरीह पक्षियों को पिंजरे में कैद करने की परंपरा को छोड़ते हुए उन्हें आजाद करेंगे तो प्रकृति में नैसर्गिक सकारात्मकता आएगी। माना तोता स्वभाविक रूप से बोलता है सिर्फ बोलता है इसलिए आप उसे कैद करके रखें ,वाकई देखकर दुख होता है । आप 24 घंटे सिर्फ एक कमरे में अपने घर में ही रहकर देख लीजिए आज़ादी का मतलब समझ में आ जाएगा। कोरोना महामारी में हम सब ने उस का अनुभव किया है।
हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें स्वतन्त्रता पसंद है और वे बंधन में नहीं रहना चाहते। वे खुलकर आकाश में उड़ना चाहते हैं।
हो सके तो उन्हें आजादी दे स्वतंत्र आकाश में उड़ने की स्वतंत्रता दें।
माना की प्यारे पक्षी बोल नहीं सकते पर अपनी आत्माओं में आपको जरूर याद रखेंगे……..
आइए संकल्प लें किसी पक्षी को कैद नहीं करेंगे।
प्रकृति का और ईश्वर की कृतियों का सम्मान करें. ..