Main Slideकहानी कविता

मॉ

मनीष चंद्रा

मॉ शब्द है पावन ..रीति नीति .. रिवाज है मनभावन…शिष्ट आचरण सीखें संस्कार जिससे..
दया दान करुणा प्रेम निष्ठा स्नेह ममता सीखे भाव जिससे..
हाड़ मांस की काया
जीवन ज्योति आलौकिक पुंज शिक्षा झलके जिससे.. ऐसी सृष्टि से जन्में हम सब बच्चे
ना तेरा है ना मेरा है मॉ शब्द सुनहरा है..

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