लखनऊ,आज विज्ञान भारती का पांचवा राष्ट्रीय अधिवेशन लखनऊ में संपन्न हुआ, इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे, मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आर एस एस की विचारधारा देश हित से जुड़ी हुई है, और देश हित के लिए काम करती है। हम सभी किसी भी नए ज्ञान को विज्ञान मान लेते हैं ,योगी आदित्यनाथ ने विस्तार से आर एस एस के इतिहास पर प्रकाश डाला , इस पांचवें राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मंच को साझा कर रहे थे! मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में सरसंघचालक श्रद्धेय गुरु जी को भी वैज्ञानिक माना है मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार जी भी वैज्ञानिक सोच रखते थे! और उनका दृष्टिकोण भी पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित था! सभी सरसंघचालक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ओतप्रोत थे !ज्ञान कहीं से भी मिले उसको अर्जित करना ही हमारी दृष्टि है भारतीय आध्यात्म में ऋषि-मुनियों ने लिखा है कि कोई वस्तु कभी नष्ट नहीं होती है बल्कि अपना स्वरूप बदल देती है !आज से 5000 वर्ष पहले गीता में यह उपदेश दिया गया था, कि आत्मा अमर अजर है ,तो इन बातों को सुनकर आप सभी सहज अनुमान लगा सकते हैं कि भारतीय अध्यात्म की जड़ें कितनी गहरी हैं ,
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुर्वेद के इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की और कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद ने किस तरह से लोगों मैं इम्यून सिस्टम मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी! आयुर्वेद के महत्व के बारे में सबको बहुत अच्छी तरह से पता है ,वैज्ञानिकों ने भी कोरोना काल में आम लोगों को काढ़ा पीने के लिए प्रेरित किया था, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में हुए जापानी इंसेफेलाइटिस पर हुई मौतों की भी चर्चा करने से अपने आप को नहीं रोक पाए, मुख्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस महामारी पर विजय पाने के लिए हमारी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए क्रांतिकारी कदम उठाया था !जिसके फल स्वरूप अब इस महामारी पर पूरी तरह से रोक लग चुकी है अपने संबोधन के आखिरी चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि समाज में घटने वाली प्रत्येक घटना का वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है ,उसे समझने और समझाने की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की होती है इसलिए ,विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। यह समझने के लिए हमारी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सोच और प्रक्रिया साथ-साथ चलनी चाहिए जिससे प्रेरित होकर समाज का प्रत्येक वर्ग अपने प्राचीन मूल्यों और प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अंगीकार कर सके। अंत में एक बार फिर उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश हित के लिए काम करने वाला समर्पित संगठन है। विज्ञान भारती के किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इसे जल्द ही राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है