एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स इलेक्शन वॉच ने महिला दिवस के मौके पर उत्तराखंड के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पर अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में महिला प्रत्याशियों का प्रतिशत बढ़ा है।
मनोज ध्यानी प्रदेश समन्वयक एडीआर ने कहा की सभी सियासी दलों ने भले महिलाओं को टिकट देने में अपनी ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है लेकिन महिलाओं ने अपने आत्मविश्वास के बूते पर खुद निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला करते हुए अपने साहस का परिचय दिया है।
2022 के विधानसभा चुनाव में अगर देखा जाए तो 632 उम्मीदवारों में 62 महिला प्रत्याशी इलेक्शन में उतरती हुई नजर आई हैं अगर देखा जाए तो यह पिछली बार के चुनावों से 1% की बढ़ोतरी होती मालूम पड़ रही है बीते चुनाव में 637 उम्मीदवारों में से 56 महिला उम्मीदवार ही इलेक्शन में उतरी थीं इस बार महिला निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या सबसे ज्यादा रही है जिनमें 18 महिला निर्दलीय उम्मीदवारों ने उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव लड़कर अब तक का सबसे ज्यादा निर्दलीय महिला उम्मीदवारों का इतिहास बनाया है।
ए डी आर के अनुसार उत्तराखंड से 5 सांसदों में से केवल एक महिला सांसद है जोकि राजघराने की सदस्य हैं वहीं विधायक के तौर पर देखा जाए तो 2012 में पांच और से महिला विधायक 2017 में जीतकर विधानसभा पहुंची थीं
भारतीय जनता पार्टी ने 8 महिलाओं को इस बार टिकट दिया है वह कांग्रेस ने 5 और बसपा ने 3 महिलाओं को समाजवादी पार्टी ने 6 महिलाओं को यूकेडी ने 6 महिला प्रत्याशियों को आप पार्टी ने 7 महिला उम्मीदवारों को और गैर मान्यता प्राप्त दलों ने 9 महिला उम्मीदवारों को इलेक्शन में उतारा था मनोज ध्यानी के अनुसार इन महिलाओं में 24 फ़ीसदी पोस्ट ग्रेजुएट, 33 परसेंट स्नातक , 14 फ़ीसदी इंटर और 4 परसेंट हाई स्कूल पास महिलाएं उम्मीदवार बनी थीं। इसके साथ ही मनोज ध्यानी ने यह भी बताया कि कई दलों ने ऐसे प्रत्याशियों को उतारा है जिनके ऊपर पूर्व में महिला शोषण के आरोप हैं दिन में एक राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी के ऊपर बलात्कार का भी आरोप है।