Main Slideकहानी कविता

जरूरत पड़ेगी सफ़र में

चंद्रा मनीष

लिख कर रख लेना काग़ज़ पे मेरा नाम
जरूरत पड़ेगी सफ़र में
जब ज़िन्दगी की शाम आए
पुकार लेना मुझको फिर से
मैं जलाने आऊंगा चराग़
काश तुम्हें कुछ तो याद आए
मैं खड़ा हूं वहीं.
हदें निगाह तक जहां गुबार ही गुबार है…

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