झोला उठा के: व्यंग्य

शिवराज मामा एमपी वाले

शिवराज मामा एमपी वाले

श्रुति कुशवाहा ख़ज़ल अठारह साल कुछ कम नहीं होते मामासबके दामन में व्यापम नहीं होते मामा या तो होता दिल्ली में कोई दिलदार सनमया तो फिर साहिबे आलम नहीं होते मामा इस फ़रेबी दुनिया में मेज़ वाले भी ग़म हैसिर्फ़ अकेली कुर्सी के ग़म नहीं होते मामा और भी बंगले …

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मोतियाबिंद और लोकतंत्र

द्वारा- मोतियाबिंद डाॅन प्रभात उप्रेती (लेखक शिक्षाविद् हैं) जब कुत्ता, कुर्सी मुझे आदमी और आदमी कुत्ता, कुर्सी नजर आने लगा तो हुआ अरे ! ये तो कोई पाॅलिटिकल, दार्शनिक लोचा लगता है। दिखाया तो पता चला नजरों में बुढ़ापे का टैक्स मोतियाबिंद की नजरे इनायत हो गयी है। कैटरेक्ट का …

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बाय बाबा नहीं..हेलो हाय बाबा..

मयंक पगलिया जी(लेखक चीकू के पापा हैं) no bye baba.. hello hi baba.. बाय बाबा नहीं:मजरूह सुल्तानपुरी ने एक गीत लिखा था फिल्म अभिमान के लिए शायद इस सिचुएशन (बाय बाबा नहीं)पर फिट बैठ रहा है अरबी का एक शब्द है मुलाहज़ा तो इसको फरमा लीजिए ..लता मंगेशकर ने गाया …

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गुल्लू इकाना स्टेडियम के बाहर खड़ा है,अखिलेश के इंतजार में !

मयंक पगलिया जी(लेखक चीकू के पापा हैं).. Gullu is standing outside Ekana stadium waiting for Akhilesh उत्तर प्रदेश के पास्ट टेंस वाले फास्ट भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इलेक्शन के आखिरी दिनों में पत्रकारों की बेइज्जती मात्र अपने चमचों को हंसाने और मनोरंजन करने के लिए खूब नज़र आए,, ना मानिए …

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चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है

मयंक पगलिया जी( लेखक चीकू के पापा हैं ) चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है, अगर अंग्रेजी में बोले तो मतबलUncle is sitting on the handle of the sofa and he has no complaints,यानी कि चचा का मनोबल ऊंचा है ये बात …

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