कहानी कविता

….मेरे पापा

जिंदगी को जीना सिखायाहर मुसीबत में साथ निभाया जिंदगी के हर तूफान में कभी साथ नहीं छोड़ाआपने ही जीवन के हर मोड़ पर साथ दियाफिर क्यों अब हमेशा के लिए हाथ छुड़ा लिया इतनी जल्दी चले जाओगे सोचा तो नहीं था आपसे दूर होने के लिए तैयार नहीं थी मैंआपके …

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पिता जीत है, पिता उम्मीद है,
पिता हमारा विश्वास है..

A MANVAR हम जब गिरते हैं जिंदगी की राहों में पिता थाम लेता है हमारी बांहें.. हमें संभाल करचलने का हुनर देता हैपिता सहारा हैपिता हमारा आसरा है पिता संस्कार हैजीवन केअनुभवोंकी किताब है Also Read- यार डैडी पिता जीवन का सबसे बड़ा विद्यालयरोजी-रोटी कमाई धमाईहमारे सपनों की ऊंचाई है …

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रिटायरमेंट

रिटायरमेंट

अरुणा मनवर रिटायरमेंटरिटायरमेंट एक शब्द नहीं ..है ये एक अनमोल पड़ाव ..ईश्वर की अनुकम्पा ईष्ट मित्रों की शुभकामनाओं का सौभाग्य है.. मैं भी हूं उन किस्मत वालों में जो आज पा रहा है आप जैसे सहकर्मियों से बधाई.. ये पल मेरी विदाई के नहीं हैं .. रिटायरमेंट इन्हीं पलों को …

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तुम कभी आ जाना: सपने में

तुम कभी आ जाना सपने में

तुम कभी आ जाना तुम कभी आ जाना सपने मेंतुम्हारा आना अच्छा लगेगा बेशक देती रहना गालियांदेना बद्दुआ.. बार-बार वो तुम्हारा कहना हरामजादाबेइज्जत तो महसूस होता है मगर फिर भी ,तुम कभी आ जाना: वो वक्त अब भी याद हैजब भरोसा इतना कमज़ोर न था जिसेअब तीसरे ने समझा दिया …

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ज़रा याद रखना:जब हम बुजुर्ग हो जाएंगे

ज़रा याद रखना:बुजुर्ग पिताजी जिद कर रहे थे कि, उनकी चारपाई बाहर बरामदे में डाल दी जाये। बेटा परेशान था…बहू बड़बड़ा रही थी….।कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता, हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया…. AC TV FRIDGE सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की …

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यार डैडी

चंद्रा मनीष मेरे सिरहाने फिर आकर ..एक कप चाय रख दो थोड़ा प्यार से झुंझला कर..फिर से कहो..उठो पियो..चाय ठंडी हो गयी दिखाई पड़ती हैं अब भी..आटा सानते वक्त तुम्हारी उतार कर रखी गयी अंगूठी ..हर रोज़ मुझे अक्सर तुम मोटी रोटियां.. जली भुनी पकाते थे..हम चिल्लाते थे.. तुम चले …

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तुम्हारी टीस

चंद्रा मनीष उस छोटी सी बात से बिफर गए थे ..जो तुम्हारे वजूद के लिए बड़ी थी.. जब तुम दिल के दरवाज़े से मेरे अंदर दाखिल हुए थे..उसके बाद से मैंने किसी को आने नहीं दिया…अपने अंदर से तुमको कभी जाने नहीं दिया.. किस तरह से मैं बताऊं .. चाहता …

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ये जो तुम बदल गए हो

चंद्रा मनीष ये जो तुम बदल बदल गए हो…पहले से ज्यादा मेरे अपने बन गए हो..पहले हज़ार बार याद आते थे.. अब तो यादों से जाते ही नहीं हो.. बेचैनी इस बात पे है..किस बात पर तुम बदल गए हो… दिखता था जो तुम्हारी सूरत में साफ़-साफ़ ..उसको छुपाने में …

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एतबार

एतबार

अगर तुम पर न होता एतबारतो न करती कोई शिकवा इतने यकीन से.. ऊपरवाले नीचे आजरा बैठ मेरे पास एक एक दिन देख मेरा जैसा गुजार के…नही तो रुक थोड़ा..एक दिन आऊंगी ऊपर जरूर.. also Read- बस यही ज़िंदगी … फिर बैठ कर होगा जिंदगी का हिसाब मेरे हर कड़े …

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जरूरत पड़ेगी सफ़र में

जरूरत पड़ेगी सफ़र में

चंद्रा मनीष लिख कर रख लेना काग़ज़ पे मेरा नामजरूरत पड़ेगी सफ़र मेंजब ज़िन्दगी की शाम आएपुकार लेना मुझको फिर सेमैं जलाने आऊंगा चराग़काश तुम्हें कुछ तो याद आएमैं खड़ा हूं वहीं.हदें निगाह तक जहां गुबार ही गुबार है…

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