देहरादून, भारत की आजादी से पहले जब मुल्क की सरहदें बटी थीं तब दोनों तरफ कत्लों आम में हजारों लोगों ने अपनी जान गवायी थी जिसके दर्द के निशान आज भी लोगों के दिलों में चस्पा हैं। विभाजन के दर्द को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में पंजाबी सभा द्वारा आयोजित विभाजन विभीषिका सम्मान समारोह में विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले तमाम सेनानियों के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने विभाजन के दौरान जान गंवाने वालों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही विभाजन विभीषिका के दौरान दिवंगत लोगों की याद में स्मृति स्थल के निर्माण की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को एक ओर जहां देश आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी ओर देश के विभाजन का भी हमने दर्द सहा। देश का विभाजन भारत के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं था। इस दंश के दर्द की टीस आज भी है, जो इसे झेलने वाले लोगों की आंखों को नम कर देती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का विभाजन केवल एक भू-भाग का विभाजन नहीं था, पीढ़ियों से साथ रह रहे लोगों के बीच नफरत और सांप्रदायिकता की लकीर खींच दी गई थी। लगभग पूरा भारत छिन्न-भिन्न हो गया था। भारत के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था। उन्होंने कहा कि देश आजादी के अमृत वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इस अमृतकाल में यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश को स्वतंत्र कराने वाले और देश के विभाजन की यातनाएं झेलने वाले मां भारती के प्रत्येक सपूत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि के सनातन स्वरूप को किसी भी सूरत में बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। राज्य में धर्मांतरण के विरूद्ध कानून सख्ती से लागू किया गया है। प्रदेश की जनता से किये गये वायदे के अनुरूप शीघ्र ही राज्य में समान नागरिक संहिता लागू किया जायेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक एवं विधायक शिव अरोड़ा, महामण्डलेश्वर स्वामी धर्मदेव, विश्वास डाबर आदि ने भी अपने विचार रखें।