कहानी कविता

अब द्यूत कोई आंगन में मेरे फिर न खेला जाएगा

डाॅ कल्पना सिंह अब द्यूत कोई आंगन में मेरे फिर न खेला जाएगा चीर हरण का काला वह इतिहास नहीं दोहराएगा दु:शासन के हाथ मेरे केशों को न छूने पाएंगे मर्यादा के रक्षक मेरे, मौन नहीं रह पाएंगे मेरे सम्मान के रक्षण को, उन्हें धर्म सिखाया जाएगा अब द्यूत कोई …

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शुभ दीपावली

डॉ सुधीर शुक्ला दीवाली हो, दीवाल नहीं।रिश्तों का रखिए ख़्याल वहीं।। यह ज्योति पुंज करती प्रकाश।सब पर समान हो , यही भॉस । यह घना अंधेरा टिक न सके ।उजियारा इससे मिट न सके ।। सामाजिक ताने बाने का,खिलता यह अपना उपवन हो । यह दिवस तभी मंगलमय हो ।यह …

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तीलियां माचिस की

तीलियां माचिस की

डॉ सुधीर शुक्ला तीलियां माचिस की लेकर आग ऐसी न लगाओ।हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ।। आपका उद्देश्य क्या है।यहां आखिर ध्येय क्या है।।राष्ट्र विकसित कर रहा है। प्रश्न उस पर धर रहा है।।धर्म पथ पर हम चले थे। जानते हैं वह छले थे।।एक ऐसा अवसर जब …

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hindi kavita:फिर एक कटी पतंग

hindi kavita:फिर एक कटी पतंग

chandra Manish hindi kavita: मैंने देखी फिर एक कटी पतंग वैसी ही खुबसूरत वादियों मेंकुर्बानी और दग़ाबाज़ी की नयी दास्तान..इस बार वो सफेद लिबास में नहीं थीमांग पे था सिंदूर मजबूरी का…ओढ रखी थी चेहरे पे मुद्दतों की उलझन में बनावटी मुस्कान hindi kavita आस्तीनों में पाले हैं काले नाग …

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….मेरे पापा

जिंदगी को जीना सिखायाहर मुसीबत में साथ निभाया जिंदगी के हर तूफान में कभी साथ नहीं छोड़ाआपने ही जीवन के हर मोड़ पर साथ दियाफिर क्यों अब हमेशा के लिए हाथ छुड़ा लिया इतनी जल्दी चले जाओगे सोचा तो नहीं था आपसे दूर होने के लिए तैयार नहीं थी मैंआपके …

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पिता जीत है, पिता उम्मीद है,
पिता हमारा विश्वास है..

A MANVAR हम जब गिरते हैं जिंदगी की राहों में पिता थाम लेता है हमारी बांहें.. हमें संभाल करचलने का हुनर देता हैपिता सहारा हैपिता हमारा आसरा है पिता संस्कार हैजीवन केअनुभवोंकी किताब है Also Read- यार डैडी पिता जीवन का सबसे बड़ा विद्यालयरोजी-रोटी कमाई धमाईहमारे सपनों की ऊंचाई है …

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रिटायरमेंट

रिटायरमेंट

अरुणा मनवर रिटायरमेंटरिटायरमेंट एक शब्द नहीं ..है ये एक अनमोल पड़ाव ..ईश्वर की अनुकम्पा ईष्ट मित्रों की शुभकामनाओं का सौभाग्य है.. मैं भी हूं उन किस्मत वालों में जो आज पा रहा है आप जैसे सहकर्मियों से बधाई.. ये पल मेरी विदाई के नहीं हैं .. रिटायरमेंट इन्हीं पलों को …

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तुम कभी आ जाना: सपने में

तुम कभी आ जाना सपने में

तुम कभी आ जाना तुम कभी आ जाना सपने मेंतुम्हारा आना अच्छा लगेगा बेशक देती रहना गालियांदेना बद्दुआ.. बार-बार वो तुम्हारा कहना हरामजादाबेइज्जत तो महसूस होता है मगर फिर भी ,तुम कभी आ जाना: वो वक्त अब भी याद हैजब भरोसा इतना कमज़ोर न था जिसेअब तीसरे ने समझा दिया …

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ज़रा याद रखना:जब हम बुजुर्ग हो जाएंगे

ज़रा याद रखना:बुजुर्ग पिताजी जिद कर रहे थे कि, उनकी चारपाई बाहर बरामदे में डाल दी जाये। बेटा परेशान था…बहू बड़बड़ा रही थी….।कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता, हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया…. AC TV FRIDGE सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की …

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यार डैडी

चंद्रा मनीष मेरे सिरहाने फिर आकर ..एक कप चाय रख दो थोड़ा प्यार से झुंझला कर..फिर से कहो..उठो पियो..चाय ठंडी हो गयी दिखाई पड़ती हैं अब भी..आटा सानते वक्त तुम्हारी उतार कर रखी गयी अंगूठी ..हर रोज़ मुझे अक्सर तुम मोटी रोटियां.. जली भुनी पकाते थे..हम चिल्लाते थे.. तुम चले …

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