शुभ दीपावली

डॉ सुधीर शुक्ला

दीवाली हो, दीवाल नहीं।
रिश्तों का रखिए ख़्याल वहीं।।

यह ज्योति पुंज करती प्रकाश।
सब पर समान हो , यही भॉस ।

यह घना अंधेरा टिक न सके ।
उजियारा इससे मिट न सके ।।

सामाजिक ताने बाने का,
खिलता यह अपना उपवन हो ।

यह दिवस तभी मंगलमय हो ।
यह दिवस तभी मंगलमय हो ।।

(डॉ सुधीर शुक्ला भारतीय गन्ना अनुसंधान में प्रधान वैज्ञानिक हैं, आप एक सुधी लेखक हैं आपके कई लेख ,कृतियां साहित्य जगत में हिंदी की सेवा को समृद्ध कर रही है)

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