हिंदी दिवस:हिंडी हो गयी हिंदी और हिंग्लिशयाने लगा भारत

प्रयागराज से युवा लेखक प्रियांशु द्विवेदी “अंकित” का विशेष आलेख

हिंदी दिवस:नमस्कार मित्रो आज का दिन अत्यंत शुभ है ,आज हिंदी दिवस तो ठहरा , बधाइयां देने में भी लोग हिंडी भाषा का उपयोग कर रहे हैं। अंग्रेजी में हिंदी दिवस के पोस्टर भेज रहे हैं। दरअसल हमारा भारत विविधताओं की भूमि/देश कहलाता है। जिन कारणों से इसे ये उपलब्धि मिली है उनमे से एक कारण भाषा एवं लिपि में विविधता भी है।भारत की बात की जाये अगर तो हिंदी भाषित व्यक्तियों की जनसंख्या तक़रीबन ६९२ ,००० ,००० है जो कि तक़रीबन ५७. १% है | दुर्भाग्य अब यह है की हो सकता है आप सभी सम्मानित पाठकों में से कुछ ने हो सकता है की इस संख्या को नजरअंदाज कर आगे बाद चुके हो ,तो जानकारी के लिए बता दें कि 692,000,000 (अनुवादित) उस उक्तलिखित संख्या का अंग्रेजी अनुवाद है|

हिंदी दिवस की अंग्रेजी पोस्टर से दे रहें बधाईयाँ

इसी प्रकार का खेल भारत के हिंदी प्रकाशन गृह ,अखबार गृह द्वारा भी खेला जा रहा है,आमतौर पर जो अखबार आते हैं भारतीय बाज़ारो में उनमे (हिंदी को हिंडी) इसी प्रकार से किया जा रहा है। छोटे से छोटे खबर और विज्ञापन में जो भी अंक लिखे हैं वह अंग्रेजी अंको में लिखे होते हैं. यह एक बहुत छोटा सा उदाहरण है, जो दर्शाता है (हिंदी को हिंडीकरण ).

भाई अब बच्चे मन के सच्चे होते हैं और रचनाये उनकी आसमा छूती हैं ,एक छोटी बालिका ने मुझसे एक प्रश्न किया कि “बहन ” की वर्तनी बातये तो हमने उन्हें लिख के बता दी तो बालिका ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ये गलत लिख रहे हो ,(बहन नहीं बेहेन) होता है, अपने आप में ये वाक्य हास्यपूर्ण तथा बड़ा सोच विचार करने वाला था कि ,कही अध्यापक जो शिक्षा दे रहा है छात्रों को, क्या वह छात्रों को क्षेत्रीय एवं व्याकरण युक्त हिंदी में भेद करवाने में कुशल है। या वह भी (हिंदी का हिंडी ) कर रहा है।

कुछ उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ – 

इस महान राष्ट्र की हर चीज महान है ,सिर्फ भाषा को छोड़ ,आलम यह है कि हिंदी सिनेमा जिसका बॉलीवुड सरताज है जो कि खुद हिंदी भाषित प्रदेश में नहीं है वो ऐसे ऐसे सिनेमा निकाल चुका है जो कि हिंदी भाषा की लाचारी दिखाता है

१. हीरो का विवाह नहीं हो पा रहा क्यूंकि वो हिंदी भाषित है और अंग्रेजी भाषा का उसे ज्ञान नहीं
२. हीरो को मनचाही नौकरी न मिलना अंग्रेजी भाषा का ज्ञान न होने के कारण
३. मेधावी छात्र को प्रतिष्ठित विद्यालय एवं उच्च संस्थान में दाखिला न मिलना क्यूंकि वह केवल हिंदी भाषा का जानकार है।

और न जाने कितने ऐसे उदाहरण है जो कि हिंदी के प्रति एक हीन भावना उत्पन्न करता है सिनेमा ,अब न जाने मात्र मनोरंजन के लिए किया जा रहा है या साजिशन (हिंदी को हिंडी) करा जा रहा है।बाकि बात रही हमारी हिंदी भाषा की तो वो विश्व के करोडो लोगो की जान है ,मातृभाषा है और अपनी भावनाओ को व्यक्त करने का बहुत ही मधुर माध्यम है। गर्व है हमें अपनी हिंदी भाषा पर जो वो ऐसे देश की उपजी भाषा है जहाँ नए दिन की शुरुआत सूरज की किरणों से होती है (संवत्सर के अनुसार) ,न की घड़ी के १२ बजने से

खैर जो भी हो , आपको सबको हमारी अपनी विरासत हिंदी के इस समर्पित दिवस की शुभकामनाएं….