सुलगता सवाल
(जानी-मानी पत्रकार प्रियंका गोस्वामी की फेसबुक वॉल से)
क्या मदर्स डे उन लड़कियों के लिए भी हैं जो कभी माँ नहीं बन सकीं? क्या उनके लिए है जो माँ तो बनीं लेकिन गले में मंगलसूत्र ना था इसलिए माँ ना रह पाईं?
जो माँ नहीं बनना चाहतीं, वो तो खैर माँ शब्द और औरत जात पर कलंक ही है, लेकिन क्या उसे शामिल करेंगे जो 6 बाय 7 फीट के कमरे में शरीरफज़ादों को शरीर बेचते- बेचते भूल गई कि उसके बच्चे का बाप कौन है?
क्या बलात्कार के बाद उपजी संतान की माएं (हिकारत भरी नज़रों से दूर रहते हुए) इस कॉन्सेप्ट में आएगी? या जिसने कोख को किराए पर रखकर नन्ही जान को जन्म देते ही पैसेवालों को थमा दिया, उसे बधाई देनी है?
या ये सिर्फ उनके लिए ही है, जो घर, चौखट, ऑफिस, रिश्ते और बच्चों के साथ खटने पर जब थोड़ी सी बच जाती हैं, तो मदर्स डे की सेल्फी पर मासूमियत से कहती है ..,.