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उर्दू में मु शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है

यह उर्दू है आसां.. इश्क़ का इक दरिया है और डूबते जाना है।

प्रतुल जोशी

यह उर्दू है आसां.. इश्क़ का इक दरिया है और डूबते जाना है।

उर्दू में मु शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है। इस से बहुत सारे शब्द बनते हैं। आइये आज इसी पर चर्चा करते हैं।
शब्द है जुर्म (अपराध), इस से बनता है मुजरिम यानी अपराध करने वाला।
शब्द है इंतज़ार। इस से बनता है मुंतज़िर। यानी इंतज़ार करने वाला।
शब्द है इंसाफ़ (न्याय)। इस से बनता है मुंसिफ़ यानी इंसाफ़ करने वाला।
तस्सवुर का अर्थ है कल्पना। तस्वीर भी इस से बनता है। अब इस में मु लगा दें तो बन जाता है मुसव्विर यानी चित्रकार।
तक़रीर का अर्थ है भाषण। इसी से बनता है मुक़र्रिर यानी भाषण देने वाला।
उर्दू का एक शब्द है इख़्तिलाफ़ जिसका अर्थ है मतभेद, भिन्नता। इसी से बना है मुख़्तलिफ़ यानी विभिन्न, पृथक।
इसी तरह शब्द है इख़्तिसार जिसका अर्थ है बड़े आलेख को काट छांट कर छोटा करना। इसी से बना है मुख़्तसर यानी संक्षेप में।
शब्द सिलसिला (यानी क्रम) से बना है मुसल्सल अर्थात् लगातार
अब एक शब्द है मुवक्किल। यह शब्द वकील से बना है। मुवक्किल का अर्थ है वकील का असामी, जो अपना मुक़द्दमा वकील को देता है।

तो है न उर्दू ज़बान दिलचस्प

साभार : प्रतुल जोशी- वरिष्ठ पत्रकार, (कार्यक्रम अधिशासी आकाशवाणी )जी की फेस बुक वॉल से

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