भारत के रतन टाटा को देश का अंतिम टाटा (बाय बाय)

Manish Chandra

भारत के रतन टाटा..शायद किसी ने ध्यान नहीं दिया कल जब आप प्राण तज कर अस्पताल से निकले थे तो वो गाड़ी भी आपकी ही थी और उस गाड़ी पर था आपकी मेहनत और देश के अभिमान का हस्ताक्षर.. TATA दर्ज़ था..

तिरंगे को भी नाज़ है कितनी कीमती दौलत से लिपटा वो आज है… रतन टाटा जी आप जा तो रहें हैं लेकिन जा नहीं पाएंगे हमारे दिलों से..सुबह से लेकर शाम तक घर से लेकर सड़क तक,खाने से लेकर कपडे़ तक.. ज़ेवर से लेकर रेंज रोवर तक हर चीज़ में आपकी परछाई ही तो है…हमने आपका नमक खाया है..देश के लिए आपने हमें जीना सिखाया है..हर भारतवासी आपके कदमों पे चलना चाहेगा …हमारा आपको नमन…आप अजर हैं आप अमर हैं

भारत के रतन टाटा के बारे में

साल 1937 में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण 1948 में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था.

रतन टाटा साल 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क की डिग्री प्राप्त की थी. 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया.

2008 में भारत सरकार ने उन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, प्रदान किया था. वह 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे.

भारत के लिए रतन टाटा का सफ़र:

रतन टाटा जी का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है, जो उनकी भारतीयता,दूरदर्शिता, मेहनत और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है-

जन्म
28 दिसंबर 1937
कॉलेज डिग्री
1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क (Bachelor of Architecture)
विदेश में कार्य अनुभव
1962 के अंत में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ काम किया
मैनेजमेंट ट्रेनिंग
1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया
टाटा संस के चेयरमैन बने
मार्च 1991
रिटायर
28 दिसंबर 2012
टाटा समूह की आय
1991 में ₹10,000 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में USD 100.09 बिलियन
टाटा के मुख्य अधिग्रहण

  • 2000 में टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में टेटली का अधिग्रहण

2007 में टाटा स्टील द्वारा 6.2 बिलियन पाउंड में कोरस का अधिग्रहण

– 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण

सम्मान

2008 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान)

महाराष्ट्र कैबिनेट और देश की मांग मिले भारत रत्न सम्मान