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रिटायरमेंट

अरुणा मनवर

रिटायरमेंट
रिटायरमेंट एक शब्द नहीं ..
है ये एक अनमोल पड़ाव ..
ईश्वर की अनुकम्पा ईष्ट मित्रों की शुभकामनाओं का सौभाग्य है..

मैं भी हूं उन किस्मत वालों में जो आज पा रहा है आप जैसे सहकर्मियों से बधाई..

ये पल मेरी विदाई के नहीं हैं .. रिटायरमेंट

इन्हीं पलों को उन पलों से जुड़ना था.. जब मैं पहली बार सेवा में आया था जिसे आप लोग सर्विस और नौकरी भी कहते हैं..

कितना अद्भुत स्मरण है आज उस दिन का …जब मैं नया नवेला आया था और आज.. आप सबसे समेट कर ले जा रहा हूं अनुभवों की गठरी.. जिसे मैं हर रोज़ खोलूंगा जैसे होती है जीवन की कोई किताब या यादों का सुनहरा एल्बम.. .. अभी चाहिए होंगी मुझे आप सबकी और भी शुभकामनाएं ताकि मैं सेवा कर सकूं फूलों की, पौधों की पशु पक्षियों की, दुलारा सकूं नन्हें बच्चों को

अभी तो रचने है मुझे कई गीत .. लिखनी हैं अपने गांव अपनी मिट्टी और हरियाली की कहानियां ..गाने हैं मानवता और इंसानियत के गीत..

मुझे सौगंध है तुम्हारे आदर और स्नेह की..

सचमुच तभी तो कह रहा हूं आज मैं ..सेवा से निवृत्त नहीं बल्कि नई सेवा में रत हुआ हूं नई सेवा में रत हुआ हूं… आज फिर से नई कक्षा में गया हूं .. सेवा से निवृत्त नहीं..

एक नई सेवा में रत हुआ हूं.. रत हुआ हूं.. सबके साथ हमेशा अब भी जब भी..

साभार -अरुणा मनवर

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