डॉ सुधीर शुक्ला दीवाली हो, दीवाल नहीं।रिश्तों का रखिए ख़्याल वहीं।। यह ज्योति पुंज करती प्रकाश।सब पर समान हो , यही भॉस । यह घना अंधेरा टिक न सके ।उजियारा इससे मिट न सके ।। सामाजिक ताने बाने का,खिलता यह अपना उपवन हो । यह दिवस तभी मंगलमय हो ।यह …
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तीलियां माचिस की
डॉ सुधीर शुक्ला तीलियां माचिस की लेकर आग ऐसी न लगाओ।हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ।। आपका उद्देश्य क्या है।यहां आखिर ध्येय क्या है।।राष्ट्र विकसित कर रहा है। प्रश्न उस पर धर रहा है।।धर्म पथ पर हम चले थे। जानते हैं वह छले थे।।एक ऐसा अवसर जब …
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