चंद्रा मनीष ये जो तुम बदल बदल गए हो…पहले से ज्यादा मेरे अपने बन गए हो..पहले हज़ार बार याद आते थे.. अब तो यादों से जाते ही नहीं हो.. बेचैनी इस बात पे है..किस बात पर तुम बदल गए हो… दिखता था जो तुम्हारी सूरत में साफ़-साफ़ ..उसको छुपाने में …
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