डाॅ कल्पना सिंह अब द्यूत कोई आंगन में मेरे फिर न खेला जाएगा चीर हरण का काला वह इतिहास नहीं दोहराएगा दु:शासन के हाथ मेरे केशों को न छूने पाएंगे मर्यादा के रक्षक मेरे, मौन नहीं रह पाएंगे मेरे सम्मान के रक्षण को, उन्हें धर्म सिखाया जाएगा अब द्यूत कोई …
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hindi kavita:फिर एक कटी पतंग
chandra Manish hindi kavita: मैंने देखी फिर एक कटी पतंग वैसी ही खुबसूरत वादियों मेंकुर्बानी और दग़ाबाज़ी की नयी दास्तान..इस बार वो सफेद लिबास में नहीं थीमांग पे था सिंदूर मजबूरी का…ओढ रखी थी चेहरे पे मुद्दतों की उलझन में बनावटी मुस्कान hindi kavita आस्तीनों में पाले हैं काले नाग …
Read More »जीना पड़ता है खुद के लिए
नीता शर्मा माना खुद को संभालना समझना मुश्किल हो सकता है ,लेकिन नामुमकिन तो नहीं और सच कहूं तो खुद को संभालते संभालते एक वक्त के बाद खुद को खुद की आदत हो जाती है फिर तकलीफों में कोई और नहीं बल्कि सिर्फ हम चाहिए होते हैं हमें और मेरे …
Read More »तुम्हारी टीस
चंद्रा मनीष उस छोटी सी बात से बिफर गए थे ..जो तुम्हारे वजूद के लिए बड़ी थी.. जब तुम दिल के दरवाज़े से मेरे अंदर दाखिल हुए थे..उसके बाद से मैंने किसी को आने नहीं दिया…अपने अंदर से तुमको कभी जाने नहीं दिया.. किस तरह से मैं बताऊं .. चाहता …
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