चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है


  • मयंक पगलिया जी
    ( लेखक चीकू के पापा हैं )

चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है,

अगर अंग्रेजी में बोले तो मतबल
Uncle is sitting on the handle of the sofa and he has no complaints,
यानी कि चचा का मनोबल ऊंचा है ये बात वो दिल से कह रहे हैं या only from his own private Toung , इसके क्या सियासी मायने हैं या पारिवारिक मजबूरी कम से कम भतीजे के लिए प्यार तो बिल्कुल नहीं है क्योंकि पूरे जमाने ने देखा था कि किस तरह से हंसता खेलता परिवार मुलायम का कुनबा टूटा और फिर आज कैसे जुड़ता नजर आ रहा है वह इस चुनाव में बड़े दिलवाले चचा के रूप में बनके उभरे हैं और कह रहे हैं कि वह 2022 में अखिलेश को फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं उन्होंने फिर से साइकिल की सवारी की है और साइकिल के ही निशान पर चुनाव लड़ रहे हैं मतलब कि कुछ दिनों के लिए अपनी पार्टी अपनी जिद शान तमाम चीजों को म्यान में रख दिया है। विरोधियों के मन में चाचा को लेकर कई तरह के सवाल आ रहे हैं कुछ देख रहे हैं ऊंट किस करवट बैठेगा तो कुछ मौज ले रहे हैं मीडिया में सोफे के हैंडल का सवाल समाजवादियों के लिए लतीफे की तरह इस्तेमाल किया जाता रहेगा क्योंकि भीड़ को थोड़ा सा हंसाने का मौका योगी मोदी और तमाम लोगों को मिल रहा है फिलहाल इधर का मीडिया और उधर का मीडिया दोनों अपनी-अपनी तरह से इस छोटी सी बात को स्पेस दे रहा है, सूरते हाल को देखकर कहा जा सकता है कि तीसरे चरण में 82 साल के पापा और चाचा के चरण एक साथ अखिलेश के साथ नजर आ रहे हैं उधर बघेल ने इन्हें दूसरे पप्पू की संज्ञा देकर राजनीति में नाम और व्यक्तित्व की गरिमा का मखौल बनाकर सस्ती चवन्नी वाली फौरी तौर पर लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की है । करहल के कोलाहल से किसको अमृत मिलेगा या किसको विश्वास का विष 10 मार्च को सब के बाल आगे आ जाएंगे इनके भी और मीडिया वालों के भी …और हां सर्वे वाले बड़े नाशकाटे हैं देखो का होई , बड़ी रात हुई गे है चलो परि के सोई… झोला उठाके