मनोज कुमार के पिता की कही हुई बात बिल्कुल सच हो गई

Chandra Manish
मनोज कुमार की शख्सियत को जिसने भी जाना देशभक्त के रूप में ही पहचाना जन्म के समय हरि दर्शन गोस्वामी और हरि कृष्ण गोस्वामी थे फिर मनोज कुमार हुए और आखिरी दम तक मनोज भारत कुमार रहे.मनोज कुमार के पिता की कही हुई बात बिल्कुल सच हो गई
मनोज कुमार के किस्से तो बहुत सुने होंगे आपने
एक बार मनोज कुमार के पिता से उनके दोस्त ने कहा कि मेरा लड़का कुछ ऐसा काम करेगा कि इतिहास जानेगा… और फिर उसके बाद मनोज के पिता से मित्र ने पूछा कि तुम्हारा लड़का क्या करेगा…इस पर मनोज कुमार के पिता ने कहा मेरा बेटा इतिहास लिखेगा..जब पिता से किसी ने कहा कि आपका लड़का क्या खूब लिखता है तो उन्होंने कहा इसमें क्या कमाल की बात है वो वारिस शाह के गांव का रहने वाला है इस गांव का बच्चा-बच्चा लिख सकता है.

तू तो मेरा भगता जैसा दिखता है -भगत सिंह की मां
और ये बात सच भी हुई मनोज कुमार ने जब शहीद फिल्म में भगत सिंह का रोल किया.. तो फिल्म देखकर भगत सिंह की मां ने कहा “तू तो मेरा भगता जैसा दिखता है.. वो भावुक हो उठे .. उनकी आंखें छलक उठीं और फिर मनोज कुमार ने फिल्मों को देश के लिए जिया देश के लिए फिल्माया*जिसने भी भगत सिंह को नहीं देखा है वो केवल शहीद फिल्म देख ले भगत सिंह फिल्मी पर्दे पर जी उठते हैं और देश के लिए मर मिटते हैं…
ना तो मैं किसान दिखता हूं और ना ही मै जवान हूं
भगत सिंह के किरदार में इसी शहीद फिल्म को देखकर जब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने पूरी स्टार कास्ट को अपने घर चाय पर बुलाया तो उन्होंने कहा कि ना तो मैं किसान दिखता हूं और ना ही मै जवान हूं .. शास्त्री जी ने पूछा कि आपको क्या लगता है …. मनोज ने कहा यह बात सारे हिंदुस्तान से पूछिए बस आपका आशीर्वाद चाहिए बाबूजी .शास्त्री जी ने कहा क्या तुम किसान और जवान दोनों को मिलाकर देश के लिए कोई फिल्म कोई कहानी बना सकते हो… उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के पैर छुए और आशीर्वाद लेकर कहा हो जाएगा..
सरपट पटरियों पर दौड़ती हुई रेलगाड़ी में दिल्ली से मुंबई पहुंचने के बीच में ट्रेन में ही जय जवान जय किसान की कहानी को समेट कर भारत की सौंधी मिट्टी के गांव के किसान की सोच को देशभक्ति में पिरो कर उपकार लिख चुके थे.. अब सभी की जुबान पर मेरे देश की मिट्टी सोना उगले उगले हीरे मोती है …
पूरब पश्चिम में भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं ..भारत की हस्ती को बयां करने वाला ये गीत सिर्फ और सिर्फ मनोज यानी कि भारत कुमार पर ही सजता है क्रांति रोटी कपड़ा और मकान उनकी हर फिल्म के मकसद में देश की मोहब्बत ही है … चाहे तो उठा कर कोई भी फिल्म देख लीजिए नर्माई और विनम्रता से भीगा हुआ ये चेहरा जब डायलॉग डिलीवरी देता तब वह एक्टिंग बिल्कुल नहीं लगती थी इतना ओरिजिनल एक्टर फिल्मी दुनिया में कम ही मिलता है जिसमें देश का कैरेक्टर हो…

भारत कुमार ने भी फिल्मों में आने के लिए संघर्ष किया वो भी रातों को रेलवे स्टेशन और तमाम तंग जगहों में रहकर मुकाम पर पहुंचे थे.. देशभक्त की छवि बनने के बाद खुद मनोज कुमार के हवाले से बताया गया कि जब देश के लोग उनको देश की गरिमा समझते हैं तो उनका आचरण भी स्क्रीन पर वैसा ही नजर आना चाहिए और इसीलिए उन्होंने अपनी एक्टिंग में कभी भी किसी भी तरह का ऐसा सीन नहीं किया जिससे देश की गरिमा की गाथा बताने वाले शख्स को लोग हल्का समझें।
फिल्मी करियर
80 साल के भिखारी का रोल निभाकर अपने करियर की शुरुआत फिल्म फैशन 1957 से की थी और इसके बाद बतौर मुख्य भूमिका 1960 में आई कांच की गुड़िया से लेकर 1995 की मैदान-ए-जंग तक उनके सफल रहा इस बीच मनोज भारत कुमार बनकर छाए रहे शहीद, उपकार पूरब पश्चिम क्रांति, शोर ,रोटी कपड़ा और मकान की तरह आपने अनगिनत फिल्मों में देश और देश काल को ही जिया।
मनोज पहले ऐसे लेखक हैं जिन्हें भारत सरकार ने सबसे पहले स्टोरी राइटर का अवार्ड दिया।
भारत कुमार को पद्मश्री और दादा साहब फाल्के जैसे पुरस्कारों से भी नवाज कर भारत के श्रेष्ठ नागरिक का दर्जा दिया गया।
Also Read – First bhojpuri movie: “गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो”
Photo – Google