Chandra Manish
तुम्हें क्या बताएं कि तुम मेरे लिए क्या हो..
ख्यालों का मेरे खुफ़िया पता हो तुम
किसी सवालिया निशान की तरह…
ज़ेहन पे चस्पा हो
जवाब मिल गया होता
तो
शायद उतर ही जाते मेरे मन
से
या फिर
मुकर जाना ही चाहा मैने..
तुम्हें इतना समझने के सच से भी
कैसे मिटा पाता इस रंग भरी तस्वीर को…
अपनी उस तासिर को
ख़ता रंगों की भी नहीं
रंगने वाला ही जब दीवाना हो
4.00AM
1 Sep