स्नेहिल पांडेय
पराए देश की धरती पर अपनेपन का एहसास कुछ अपने लोगों जैसी बात नीदरलैंड के खुशनुमा और अनुशासित माहौल में दिखती है।नीदरलैंड का अनुभव अपने आप में एकदम जुदा है एक सरकारी प्राथमिक शिक्षिका के तौर पर हमारे लिए यह सपना ही था कि हम कभी भी विदेशी धरती पर भ्रमण करने का प्रोग्राम बना सके या ऐसा सोच भी सकें कि हम यूरोप जैसे महाद्वीप के किसी एक देश में जा सकेंगे यूनिसेफ द्वारा चयनित चुनिंदा अधिकारियों एवं सिलेक्टेड शिक्षकों की टीम में एक नाम मेरा भी था हमारे अपने प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी इस सफर में साथ थे ।अगर सिर्फ सुविधा और साधनों की बात करें तो ना ऐसा कभी देश देखा न ऐसी जलवायु कभी महसूस की।
ये सिलसिले हुए..
भारतीय दूतावास की नीदरलैंड में स्थित भारतीय एंबेसडर से मुलाकात के बारे में सोच सकते थे खर्च की बात करें तो खर्च भी हमारी लिमिट से बाहर फिर भी वीजा प्रक्रिया हुई दिल्ली आना-जाना हुआ पहली बार वीएफएस सेंटर देखा पासपोर्ट तो था अन्य चीजों की जानकारी कम थी बहुत सारी प्रक्रियाओं के बाद बोइंग विमान में बैठकर तुर्की इस्तांबुल में रुकते हुए हम एम्स चरण के एयरपोर्ट पहुंचे वह एम्सटर्डम जिनको सिर्फ और सिर्फ ख्वाबों खयालों में सुना फिल्मों में देखा और बस कुछ इस तरह से गुनगुनाया… देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए के अमिताभ बच्चन के सिलसिला फिल्म की गाने में देखा वह ट्यूलिप गार्डन जो कहानियों में सुना और फोटोस में देखा उसके सामने उसके खड़े होना एक सचमुच अद्भुत एहसास दे गया सबसे बड़ी बात यह रही कि हम इन फूलों के खिलने के मौसम में मौजूद थे.. बेहद आनंद की अनुभूति हुई। भारतीय दल के डेलिगेशन के तौर पर और अपने देश भारत का प्रतिनिधित्व करने की एक अलग ही खुशी हम सभी के दिलों में उमड़ रही थी लगभग 5 दिन के इस प्रवास में हमने कई सारे यहां की भाषा में जनपद और वहां के एरियाज को भ्रमण किया तो वहां पर बच्चों की शिक्षा दीक्षा के लिए पाया कि मंत्रालय से लेकर निचले स्तर तक के व्यक्ति एक समान रूप से उत्तरदायित्व का निर्माण कर रहे हैं ट्रैवलॉग के तौर पर लिखना चाहूं तो बहुत सारी कनाल वॉटरवेज वोट्स और अलग-अलग तरह की साइकिल्स देखने को मिली लेकिन अगर एक शिक्षक के तौर पर आपको कुछ बताना चाहूं तो यह वहां पर अच्छा लगा कि जो भी छात्र मेनस्ट्रीम शिक्षा नहीं ले सकते मुख्य धारा की शिक्षा में जुड़ना नहीं चाहते या कोई समस्या है तो वह वोकेशनल स्कूल में विभिन्न प्रकार की वोकेशनल ट्रेनिंग लेकर अपने करियर की शुरुआत करते हैं तथा जीविकोपार्जन भी करते हैं जिसमें सरकार पूर्ण सहयोग देती है ।
कितना अनुशासित और बेस्ट मैनेजमेंट है
सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली बात जो सामने आई हुई है कि नीदरलैंड्स में सरकारी तथा प्राइवेट दोनों प्रकार के विद्यालय सरकार से फंड प्राप्त करते हैं तथा कोई भी व्यक्ति अनपढ़ नहीं होता है क्योंकि एक डिप्लोमा के बाद ही आप किसी प्रकार की जीविका कर सकते हैं और वह डिप्लोमा सभी के लिए अनिवार्य है , स्कूलों को देखा जाए तो वहां माॅल की तरह स्कूल बने हुए हैं हर सुख सुविधा से सुसज्जित बच्चे ही उसमें शेफ है कुक हैं ब्यूटीशियन है चिप्स मेकर है ब्रेड मेकर है डेकोरेटर है और आय का स्रोत अपने परिवार के लिए बन चुके हैं आय पर बहुत ध्यान दिया जाता है बच्चों की फिटनेस उनके अटेंडेंस तथा उनके सस्टेनेबल विद्यालय में उपस्थित के लिए शिक्षकों को शिक्षा मंत्रालय तथा डायरेक्टरेट आफ एजुकेशन से बहुत सारी चीज हेल्प के रूप में मिलती हैं बच्चों के लिए काउंसलर उनके हेल्थ चेकअप के लिए एक्सपर्ट और मेडिकल विभाग के लोग विद्यालय में अपनी भूमिका निभाते हैं हालांकि भारत की तुलना में जनसंख्या बेहद कम होने के कारण वहां पर इस प्रकार की परिकल्पना की जा सकती है शिक्षा के क्षेत्र में वहां पर स्कूलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम का अध्ययन करने के लिए हमारा दल नीदरलैंड्स पहुंचा। हम लोगों ने वहां पाया कि अर्ली वार्निंग सिस्टम वहां पर कितना कारगर है जिसकी वजह से 40 दिनों तक अगर कोई बच्चा नहीं विद्यालय आ रहा है तो उसके लिए पूरा निचले स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों तक का सिस्टम साथ में आकर उस समस्या का निवारण करता है और बच्चे के माता-पिता से संपर्क करके तथा बच्चों के अभिभावक को कुछ पारितोषिक देकर बच्चों को विद्यालय तक यह किन-किन प्रकार में लाया जाता है बच्चे की समस्त समस्याओं का निराकरण किया जाता है यदि वह इस विद्यालय में नहीं अन्य विद्यालय में पढ़ना चाहता है तो उसकी भी सुविधा का ध्यान रखा जाता है इतने सारे प्रयासों को देखकर लगा कि अगर सरकारी तंत्र और आम आदमी दोनों मिलकर इतने अच्छे प्रयास करें तो निश्चित रूप से अर्ली मॉर्निंग सिस्टम की आवश्यकता भारत में उत्तर प्रदेश में नहीं पड़ेगी और समस्त बच्चों विद्यालयों में नामांकित करवा लिए जाएंगे हम लोगों ने राजा दम एमस्टरडम यूट्रिक आदि गांवों तथा स्थान का भ्रमण किया जहां पर हर जगह मंत्रालय से तथा यूनिसेफ से प्रतिनिधियों ने हम सभी का स्वागत किया पहले दिन की शुरुआत तो टेस्ट एजुकेशन मिनिस्टर जी से अभिवादन करने और हाथ मिलाने से हुई हम सभी को बहुत आश्चर्य हो रहा था कि वहां पर पद का सम्मान ना होकर शिक्षक का और दल का सम्मान था हम सभी को बराबरी का दर्जा मिल रहा था कोई ऊंचा या निम्न प्रोफाइल से नहीं बल्कि वहां पर एक दल के रूप में हम सभी की भूमिका थी और सभी को अपनी बातचीत के दौरान अपने प्रश्न रखने का तथा अपनी जिज्ञासा शांत करने का अवसर मिल रहा था हर जगह की जलवायु बहुत अच्छी थी ठंडी थी बारिश भी हो रही थी हर जगह जाकर आप अपना कोर्ट या जो भी अपने जैकेट पहना है वह अंदर आप हैंगर्स में टांग सकते हैं और एकदम कैजुअल प्रोफेशनल वेर में फॉर्मल वेयर में आप वहां पर मीटिंग अटेंड कर सकते हैं बीच-बीच में फलों तथा सब्जियों से लगे हुए सैंडविच और नाश्ता आ रहे बराबर ड्रिंक के लिए एक से एक अच्छी चीज आ रही ग्रीन टी विभिन्न प्रकार की वैरायटी की चीज और जूस का वहां बहुत ट्रेंड है हर मीटिंग में आपको फल जूस सैंडविच और हॉट डॉग आदि जैसे खाने को चीज मिलेगी कैरेट सूप तथा इस प्रकार की सर्विसेज जिसमें बहुत सारे पत्ते और एवोकाडो जैसे फल वहां के प्रमुख भोजन में आते हैं शानदार महल जैसे बने रेस्टोरेंट फूड कोर्ट हर चीज बहुत अनुशासन के साथ बर्तनों को एक जगह पर रखना कुछ बर्तनों को वॉश करके तुरंत सिंक में ड्रेनेज के पास लगा देना यह सब सिस्टम हमने वही देखा।
काश कुछ देर और ठहर जाती वो शाम
नीदरलैंड्स में तो हमने यह भी पाया कि जिस होटल में हम लोग रुके थे वहां पर पानी यूरोप में काफी महंगा था और बाद में पता करने पर पाया कि हम वॉशरूम के टाइप से आते हुए पानी को भी पी सकते हैं क्योंकि वहां का पानी शुद्ध एवं साफ है तथा किसी भी बीमारी से हम बचे रहेंगे साइकिल से चलना पैदल चलना रास्ते में हम लोगों के साथ ही ट्रांस का भी आ जाना और फ्रॉम में एक सर्टेन टाइम के अंदर बिना टिकट भी आप यात्रा कर सकते हैं यह सब चीज अनायास एवं सहसाही प्रभावित करके नीदरलैंड की यात्रा नहीं भूल सकते विमान में आते और जाते समय बोइंग प्लेन में हम लोगों को पूरा रूट दिखता है बहुत बड़े-बड़े समुद्र दिखते हैं विंडमिल हम लोगों ने पहली बार देखी जा अक्षांश नामक गांव में गए जहां पर विंडमिल थी ट्यूलिप गार्डन देखा तो देखते ही चले गए वहां से लौटने का किसी का भी दिल नहीं कर रहा था ऐसा लग रहा था कि काश यह शाम यहीं रुक जाए भारतीय दूतावास में प्रतिनिधित्व कर रहीं भारत की श्रीमती रीमिक्स संधू से मुलाकात हुई जिन्होंने हम लोगों के लिए आने के लिए अपने दूतावास से गाड़ियां हमारी व्यवस्था में लगे अधिकारीऔर कर्मचारियों का साधुवाद
शिक्षा मंत्री के साथ हमारी यह भारत से नीदरलैंड तक की यात्रा पूरे जीवन काल के लिए स्मरण योग्य बन गई हमने बच्चों से बहुत ढेर सारी बातचीत की बच्चों का एक्सपोजर देखकर उनका कॉन्फिडेंस देखकर तथा शिक्षा का स्तर देखकर हम लोगों को एक शिक्षक के तौर पर बहुत संतुष्टि हुई और लगा कि ऐसे कुछ प्रयास हमारे प्रदेश में भी होने चाहिए जिससे शिक्षा में और ज्यादा सुधार किया जा सके
मैं पुनः यूनिसेफ संस्था को धन्यवाद अदा करना चाहूंगी जिन्होंने हम सभी को यूरोप महाद्वीप के शिक्षा के सर्वोत्तम मॉडल अप्लाई करने वाले देश में ले जाकर वहां की व्यवस्थाओं को करीब से जानने का अवसर प्रदान किया साथ ही हम अपने नौनिहालों को अपडेटेड शिक्षा प्रणाली द्वारा किस तरह से ज्ञान अर्जन के मार्ग को आकर्षक और सरल बना सके यह सोचने और सार्थक प्रयत्न करने का मौका दिया