झोला उठा के: व्यंग्य
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हरिशंकर परसाई: जैसे उनके दिन फिरे
एक था राजा। राजा के चार लड़के थे। रानियाँ? रानियाँ तो अनेक थीं, महल में एक ‘पिंजरापोल’ ही खुला था।…
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शिवराज मामा एमपी वाले
श्रुति कुशवाहा ख़ज़ल अठारह साल कुछ कम नहीं होते मामासबके दामन में व्यापम नहीं होते मामा या तो होता दिल्ली…
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मोतियाबिंद और लोकतंत्र
द्वारा- मोतियाबिंद डाॅन प्रभात उप्रेती (लेखक शिक्षाविद् हैं) जब कुत्ता, कुर्सी मुझे आदमी और आदमी कुत्ता, कुर्सी नजर आने लगा…
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बाय बाय बाबा नहीं..हेलो हाय बाबा..yogi
मयंक पगलिया जी(लेखक चीकू के पापा हैं) no bye baba.. hello hi baba.. बाय बाबा नहीं:मजरूह सुल्तानपुरी ने एक गीत…
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गुल्लू इकाना स्टेडियम के बाहर खड़ा है,अखिलेश के इंतजार में !
Foto from Social media मयंक पगलिया जी(लेखक चीकू के पापा हैं).. Gullu is standing outside Ekana stadium waiting for Akhilesh…
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चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है
मयंक पगलिया जी( लेखक चीकू के पापा हैं ) चाचा सोफे के हत्थे पर बैठे हुए हैं और उन्हें कोई…
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