आंबेडकर के कथावाचक ही हैं असली भ्रष्टाचारी

शैलेन्द्र पासी

आज़ाद भारत के सामाजिक सुधार के जनक, नायक भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की कसमें खाकर निजी जीवन में राजनैतिक सामाजिक हैसियत हासिल करने वाले पाखण्डियों ने सबसे बड़ा नुक्सान हासिए पर छोड़े गए समाज का ही किया है अपनी रोटियां सेंकने में वो कामयाब हुए हैं.. महाराष्ट्र में आंबेडकर जी के नाम पर इतना खोखला आडंबर देखने को नहीं मिलता है जितना सबसे बड़ी जनसंख्या वाले सूबों में देखने को मिलता आ रहा है और ये हथकंडा ज़ारी है…

देश के कई समुदाय स्वातंत्रता के बाद अपनी सामाजिक व्यवस्था सुधारने में लग गई और कई समुदाय राजनीतिक? ये हमेशा सच नही था कि पैसे और तिकड़मी प्रकति वाले ही प्रतिनिधि बनते थे। कई बुद्धिजीवी समुदाय ने भविष्य को आधार बनाया अपनी अपनी सामाजिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देश के कई समुदाय और वर्ग अपनी पृथक विचारधारा पर आधारित विकास को आधार बनाया, परिणाम सामने है आज उनका समुदाय शैक्षिक आर्थिक और देश की राजनीतिक में बेहतर दखल रखता है।
वह समुदाय जो दूसरो की विचारधारा पर आधारित विकास कर रहा था आज वो दलित और दरिद्र बना हुआ है।

Ans:- शिक्षा ही सारे प्रश्नों का हल है ये दीपदान आन्दोलन की विचारधारा है।

देश मे भगवान श्री राम के कथा वाचक महोदय ये बताते है #भगवान श्री राम ने ये कहा था वो किया, इसी तरह डां #अम्बेडकर साहब जी के भी कथावाचक गली गली में पाये गये अन्तर सिर्फ इतना था भगवान श्री राम के कथा वाचक शिक्षा, त्याग और कूटनीति का दर्शन कराते थे वही डां अम्बेडकर के कथावाचक भूत की कहानी सुनाते थे उनके पास न शैक्षिक आन्दोलन जैसा था न भविष्य दर्शन? #कथावाचको को ही दलित समुदाय नेता मान कर बडे बडे मंचो पर जगह देकर उन्हे अपना अग्रणी मान किया। यही अन्तर उस शिक्षित समाज और दरिद्र समाज में है।

जब “व्यवस्था परिवर्तन” पर पथ बढाया तो समझ में नही आ रहा था, किस कदर उसी समुदाय के, जिन्हें आप प्रतिष्ठित, माननीय आदि न जाने कितने सम्मानीय शब्दों के बोझ तले उन्हे दबा देते है कि वो पागलो की तरह चिल्लाकर कहता है हमारा आखिरी लक्ष्य “सत्ता प्राप्ति ” है।।
वो व्यक्ति जो आपकी जाति, समुदाय और देश का है उसका परिवार जिसे आज भी समय पर सम्पूर्ण भोजन, उच्च शिक्षा, बेहतर न्याय नही मिलता, इसका जिम्मेदार क्या आप उसे ठहरायेगे जो यह कहता फिरता है “सत्ता प्राप्ति” ही अंतिम लक्ष्य है।
यदि यह विचारधारा सही थी तो आज कई प्रदेश मे #दलितऔर पिछडा कहे जाने वाला वर्ग, मल्लाह कहे जाने वाला वो समुदाय, #आदिवासी कहे जाने वाल समुदाय या डोम कहे जाना वाला वो वर्ग, सभी वर्ग तो सत्ता प्राप्त कर चुका है। तो अब आप किस लिए लड रहे है?


अगर 12 पूर्व ही “दीपदान आन्दोलन” को अगर सम्पूर्ण समर्थन मिल गया होता तो आज आपके गांव की तस्वीरें में मुम्बई को लेबर और दिल्ली की गलियो का #श्रमिक नजर नही आता, इसके दोषी वही लोग है जो विधायक और सांसद बनने के लिए नारा देते रहे है “सत्ता प्राप्ति” ही अंतिम लक्ष्य है। आपकी जातीय और सामाजिक भावनाओ का दोहन किया। अक्सर पाखंडी अम्बेडकरवादी आदरणीय #डा0 अम्बेडकर साहब की संसद भवन के सामने रखी मूर्ति की उस उगली पर इशारा कर कहता है अम्बेडकर साहब ने कह कहा था सत्ता प्राप्ति ही अंतिम लक्ष्य है । #पाखंडी अम्बेडकर वादी कथावाचक type नेता।
ये झूठे और मक्कार नेताओ ने डा0 अम्बेडकर साहब को भी झूठा ठहरा दिया। आईये मिलकर कदम बढाईये व्यवस्था परिवर्तन की ओर, जिससे कल आपके परिवार को समय पर सम्पूर्ण भोजन, बच्चों को उच्च शिक्षा, और समाज को बेहतर न्याय मिल सके।

(लेखक दीपदान फाउंडेशन के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं)