Main Slideकहानी कविता

….मेरे पापा

नीता शर्मा

जिंदगी को जीना सिखाया
हर मुसीबत में साथ निभाया जिंदगी के हर तूफान में कभी साथ नहीं छोड़ा
आपने ही जीवन के हर मोड़ पर साथ दिया
फिर क्यों अब हमेशा के लिए हाथ छुड़ा लिया

इतनी जल्दी चले जाओगे सोचा तो नहीं था

आपसे दूर होने के लिए तैयार नहीं थी मैं
आपके जाने के बाद खुद को अकेला पाया है
पापा आप मेरा सहारा थे आपकी बातें मुझे अब जीवन का ज्ञान देती हैं
जब भी पापा आपकी याद आती है
मेरी आंखों में नमी आ जाती है ।

आपकी कही कुछ बातें चेहरे पे मुस्कान लाती हैं…

आपके जैसा कोई प्यार नहीं करेगा
आप जैसा मेरे लिए कोई नहीं लड़ेगा ..
आपने जिंदगी भर सब कुछ दिया
आप जाते हुए भी जिंदगी भर के लिए सब कुछ देकर गए

पापा आपकी याद आती है तो आपकी तस्वीर देख लेती हूं.. छोड़कर तो चले गए हो फिर भी आपको अपने पास महसूस कर लेती हूं …

कभी-कभी अकेले बैठकर आपको याद करती हूं …

आपसे फिर मिलने के लिए खुद से फरियाद करती हूं
बस एक बार लौट आओ
काश मुमकिन हो जाता … पापा

आपसे मेरा मान सम्मान पहचान थी.. जब तक झुर्रियां पड़ा हाथ मेरे साथ था पूरी दुनिया से लड़ जाती थी… आपकी दुआएं दुनिया की सारी बलोंओं से मुझे बचा लेती थीं ..एक पिता की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता

आपकी बाहों के घेरे मुझे सुकून देते थे…

मेरे पापा

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