Tag Archives: Hindi Kavita

गणतंत्र दिवस पर कविता

गणतंत्र दिवस पर कविता

अरुणा मनवर हम भारत के लोग..दिन 26 जनवरी 1950..दूर हुए सारे दोष… मिला संविधान – बना गणतंत्र अपना…पूरा हुआ आज़ाद हवा में सांस लेने का सपना… बाईस भाषाओं, अनगिनत बोली- नदियों, मैदानों रेगिस्तान पहाड़ों के लोगो का देश… फिर भी एक संविधान एक उद्देश्य.. ये हैं भारत मां का उदघोष… …

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तीलियां माचिस की

तीलियां माचिस की

डॉ सुधीर शुक्ला तीलियां माचिस की लेकर आग ऐसी न लगाओ।हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ।। आपका उद्देश्य क्या है।यहां आखिर ध्येय क्या है।।राष्ट्र विकसित कर रहा है। प्रश्न उस पर धर रहा है।।धर्म पथ पर हम चले थे। जानते हैं वह छले थे।।एक ऐसा अवसर जब …

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hindi kavita:फिर एक कटी पतंग

hindi kavita:फिर एक कटी पतंग

chandra Manish hindi kavita: मैंने देखी फिर एक कटी पतंग वैसी ही खुबसूरत वादियों मेंकुर्बानी और दग़ाबाज़ी की नयी दास्तान..इस बार वो सफेद लिबास में नहीं थीमांग पे था सिंदूर मजबूरी का…ओढ रखी थी चेहरे पे मुद्दतों की उलझन में बनावटी मुस्कान hindi kavita आस्तीनों में पाले हैं काले नाग …

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जीना पड़ता है खुद के लिए

नीता शर्मा माना खुद को संभालना समझना मुश्किल हो सकता है ,लेकिन नामुमकिन तो नहीं और सच कहूं तो खुद को संभालते संभालते एक वक्त के बाद खुद को खुद की आदत हो जाती है फिर तकलीफों में कोई और नहीं बल्कि सिर्फ हम चाहिए होते हैं हमें और मेरे …

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ये है एक टिहरी

*अरुणा मनवर* ये एक थी टिहरी नहीं..ये है, एक है टिहरी… जो जिंदा है,,,तुम्हारी रग रग में.. पग पग मेंतुम्हारे दिन में,, रात में..इक इक साँस में…. घड़ी की टिक टिक मेंसबके सवालों की झिक झिक में.. पसीने की टपकती हर इक बूंद मेंमन के भावों की एक एक मूँद …

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….मेरे पापा

जिंदगी को जीना सिखायाहर मुसीबत में साथ निभाया जिंदगी के हर तूफान में कभी साथ नहीं छोड़ाआपने ही जीवन के हर मोड़ पर साथ दियाफिर क्यों अब हमेशा के लिए हाथ छुड़ा लिया इतनी जल्दी चले जाओगे सोचा तो नहीं था आपसे दूर होने के लिए तैयार नहीं थी मैंआपके …

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पिता जीत है, पिता उम्मीद है,
पिता हमारा विश्वास है..

A MANVAR हम जब गिरते हैं जिंदगी की राहों में पिता थाम लेता है हमारी बांहें.. हमें संभाल करचलने का हुनर देता हैपिता सहारा हैपिता हमारा आसरा है पिता संस्कार हैजीवन केअनुभवोंकी किताब है Also Read- यार डैडी पिता जीवन का सबसे बड़ा विद्यालयरोजी-रोटी कमाई धमाईहमारे सपनों की ऊंचाई है …

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तुम कभी आ जाना: सपने में

तुम कभी आ जाना सपने में

तुम कभी आ जाना तुम कभी आ जाना सपने मेंतुम्हारा आना अच्छा लगेगा बेशक देती रहना गालियांदेना बद्दुआ.. बार-बार वो तुम्हारा कहना हरामजादाबेइज्जत तो महसूस होता है मगर फिर भी ,तुम कभी आ जाना: वो वक्त अब भी याद हैजब भरोसा इतना कमज़ोर न था जिसेअब तीसरे ने समझा दिया …

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यार डैडी

चंद्रा मनीष मेरे सिरहाने फिर आकर ..एक कप चाय रख दो थोड़ा प्यार से झुंझला कर..फिर से कहो..उठो पियो..चाय ठंडी हो गयी दिखाई पड़ती हैं अब भी..आटा सानते वक्त तुम्हारी उतार कर रखी गयी अंगूठी ..हर रोज़ मुझे अक्सर तुम मोटी रोटियां.. जली भुनी पकाते थे..हम चिल्लाते थे.. तुम चले …

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तुम्हारी टीस

चंद्रा मनीष उस छोटी सी बात से बिफर गए थे ..जो तुम्हारे वजूद के लिए बड़ी थी.. जब तुम दिल के दरवाज़े से मेरे अंदर दाखिल हुए थे..उसके बाद से मैंने किसी को आने नहीं दिया…अपने अंदर से तुमको कभी जाने नहीं दिया.. किस तरह से मैं बताऊं .. चाहता …

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