तीलियां माचिस की
आग ऐसी न लगाओ । हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ

तीलियां माचिस की

डॉ सुधीर शुक्ला

तीलियां माचिस की लेकर आग ऐसी न लगाओ।
हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ।।

आपका उद्देश्य क्या है।
यहां आखिर ध्येय क्या है।।
राष्ट्र विकसित कर रहा है। प्रश्न उस पर धर रहा है।।
धर्म पथ पर हम चले थे। जानते हैं वह छले थे।।
एक ऐसा अवसर जब वह पाए राष्ट्र में संताप लाए।।

इस धरा का मान रक्खो।
इसी पर अभिमान रक्खो।।
पीढ़ियां तब याद रक्खें,
जब यहां सद्भाव लाओ।।

तीलियां माचिस की लेकर आग ऐसी न लगाओ

image- credit Quora

कर्म से अस्तित्व बनता,
सब जनों को यह सुहाए।
पर यहां पर देखता हूं
आप उल्टी धार लाए ।।
रास्ता हो खूबसूरत
मंजिलो पर ध्यान देना।
मंजिले हो खूबसूरत
रास्तों को मान देना।
जिंदगी में बांटने की
नीतियों से साधन एक की।।
राष्ट्र की कुर्सी की खातिर ऐसा ना चलाओ।
तीलियां माचिस की लेकर,

आग ऐसी न लगाओ ।
हो सके तो राष्ट्र में उनसे, यहां दीपक जलाओ।।

डॉ सुधीर शुक्ला कवित्य हृदय के साधक हैं, आप भारतीय गन्ना अनुसंधान के प्रधान वैज्ञानिक हैं, इसके साथ ही आप कई महत्वपूर्ण शोध कार्यों के जनक हैं साथ ही आपने भारत सरकार और राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण पदों पर अपनी भूमिकाएं सरकारी सेवा के साथ ही समाज में निभाई हैं, आप संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं।

read also – नहीं सीखा मैंने..

image credit -google