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UCC क्या है: CM धामी की क्यों हो रही है तारीफ

UCC क्या है: आजादी के इतने सालों बाद देश में नागरिकों के लिए एक समान , एक मजबूत कानून की बात हमेशा से होती आई है लेकिन इस पर अब जाकर मोहर लगने वाली है और यह कीर्तिमान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम देश के कानून के इतिहास में दर्ज हो जाएगा

विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पर चर्चा

आज उत्तराखंड विधानसभा में इस बिल को चर्चा के लिए पटल पर रखा गया जिस पर विभिन्न विधायकों ने अपने मत रखते हुए मुख्यमंत्री धामी को इसका सेहरा पहनाया है। माना जा रहा था कि देश में सभी धर्म और संप्रदायों के लोगों को आपसी आचार विचार और व्यवहार करने में कुछ अड़चनें और विसंगतियां कभी-कभी देखने को मिलती थी जिससे कानूनी रूप से निर्णय लेने में समानता और पारदर्शिता स्थापित नहीं हो पा रही थी जिस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक देश एक कानून की व्यवस्था को लागू करने का फॉर्मूला सुझाया था जिसके परिणाम स्वरूप उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले इसकी अगुवाई करते हुए विधानसभा के चुनाव में प्रदेश में समान नागरिक संहिता का लोगों से वादा किया था जिसकी परिणत के रूप में आज उत्तराखंड विधानसभा में यह बिल चर्चा के लिए रखा गया है।

विधानसभा में UCC बिल को चर्चा के लिए पटल पर रखा गया

बिल के मसौदे में 400 से अधिक धाराओं को शामिल किया गया है जिनका मकसद नागरिकों के जीवन में पारंपरिक रीति रिवाजों, दांपत्य जीवन, प्रॉपर्टी के विवाद इत्यादि मसलों पर सरकार ने सभी को एक ही कानून का पालन करने के लिए कानून बनाने की बात कही है।

UCC क्या है जानिए महत्वपूर्ण बिंदु

UCC लागू होने के बाद पारिवारिक विवादों में पारदर्शिता के साथ हो सकेगा न्याय ..मिलेगा लोगों को पारिवारिक आदर्श न्याय

– नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा।
– पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।
– अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
– पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
– लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी।

– विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
– मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी।
– पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी।

Manish Chandra

Photo -Internate


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