कोटद्वार,जब एक तरफ अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग से पशु पक्षी और पेड़ और पौधे पर खतरा मंडरा जा रहा है ऐसे में गौरैया की तादाद भी खत्म होने चली थी ऐसे में कोटद्वार का ये परिवार हम सब के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
आज विश्व गौरैया दिवस है। घर आंगन में फुदकने वाली छोटी सी चिड़िया गौरेया अपनी चह-चहाहट से आमतौर पर हम सबको अपनी ओर आकर्षित करती है। हमारे घरों के आसपास रहने और घोंसला बनाने वाली गैरैया को अब कंक्रीट के भवनों में पसंदीदा आवास नहीं मिल पा रहा है। कोटद्वार के नंदपुर क्षेत्र के निवासी शिक्षक दिनेश चंद्र कुकरेती गौरैया के लिए लकड़ी का घोसला बनाते हैं और लोगों को निशुल्क बांटते हैं। पिछले 26 वर्षों से उनका यह प्रयास जारी है। वह बताते हैं कि गौरैया के लिए अब तक करीब साढ़े 17 हजार लकड़ी के घर बना चुके हैं। सलाम है इस परिवार को।