कहानी कविता
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ज़रा याद रखना:जब हम बुजुर्ग हो जाएंगे
ज़रा याद रखना:बुजुर्ग पिताजी जिद कर रहे थे कि, उनकी चारपाई बाहर बरामदे में डाल दी जाये। बेटा परेशान था…बहू…
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यार डैडी
चंद्रा मनीष मेरे सिरहाने फिर आकर ..एक कप चाय रख दो थोड़ा प्यार से झुंझला कर..फिर से कहो..उठो पियो..चाय ठंडी…
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तुम्हारी टीस
चंद्रा मनीष उस छोटी सी बात से बिफर गए थे ..जो तुम्हारे वजूद के लिए बड़ी थी.. जब तुम दिल…
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ये जो तुम बदल गए हो
चंद्रा मनीष ये जो तुम बदल बदल गए हो…पहले से ज्यादा मेरे अपने बन गए हो..पहले हज़ार बार याद आते…
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एतबार
नीता शर्मा अगर तुम पर न होता एतबारतो न करती कोई शिकवा इतने यकीन से.. ऊपरवाले नीचे आजरा बैठ मेरे…
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जरूरत पड़ेगी सफ़र में
चंद्रा मनीष लिख कर रख लेना काग़ज़ पे मेरा नामजरूरत पड़ेगी सफ़र मेंजब ज़िन्दगी की शाम आएपुकार लेना मुझको फिर…
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बस यही ज़िंदगी …
नीता शर्मा आईने में खुद को देखकरसोचती रहती हूँ,क्या खोया क्या पायाअक्सर तौलती रहती हूँ। कुछ चेहरे, कुछ बातेंकुछ भूली…
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इतने सारे झूठ
चंद्रा मनीष खुल जाती है पोल जबबेमानी कोशिशें की जाती है ढकनें की तबचेहरे की तबीयत उजड़ जाती हैबिगड़ जाती…
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तुम्हें क्या बताएं
Chandra Manish तुम्हें क्या बताएं कि तुम मेरे लिए क्या हो.. ख्यालों का मेरे खुफ़िया पता हो तुम किसी सवालिया…
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नहीं सीखा मैंने..
नीता ये बात और है कि कोई,काफिला नहीं जीता मैंने,मगर ज़िन्दगी में,लड़खड़ाना नहीं सीखा.. आयेगी इक दिन,ये बाज़ी मेरी मुट्ठी…
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