स्वर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर की आत्मा की शांति के लिए डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ मंदिर में सोमवार 7 फरवरी को स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत देव्यागिरि के सानिध्य में यज्ञ हुआ। उपस्थित भक्तों ने लता मंगेशकर के चित्र पर पुष्प अर्पित किये। संगीत साधकों ने वीणा का पूजन कर भजनों के माध्यम से स्वरांजलि भी अर्पित की।
दो मिनट का मौन रखा गया
इस अवसर पर बाबा मनकामेश्वर मंदिर में कलाओं के राजा “नटराज” का पूजन करते हुए उनकी परम शिष्या स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को याद किया गया। उपस्थित जनों ने दो मिनट का मौन रख कर लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुलैठी से हुआ यज्ञ
मठ मंदिर परिसर में पंडित राधेश्याम की अगुआई में यज्ञ किया गया। कला साधकों सहित अन्य भक्तों ने भी आहूतियां अर्पित की। श्रीमहंत देव्यागिरि ने स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की साधना को नमन करते हुए विशेष रूप से मुलैठी की आहूतियां दी।
गायक कलाकारों ने दी स्वरांजलि
वरिष्ठ गायिका पद्मागिडवानी की अगुआई में शास्त्रीय वाद्यों की उपलब्धता करवायी गई। गायिका संगीता श्रीवास्तव ने “रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम” और “तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो” जैसे कई भजन सुनाए।
लता मंगेशकर ने भजन से शुरू कर भजन पर विराम दी वाणी ।श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि लता मंगेशकर का संगीत के प्रति साधक की तरह समर्पण रहा। उनकी गायकी की शुरुआत जहां भजन से हुई वहीं उनका अंतिम गायी रचना भी भजन रही। “अल्लाह तेरो नाम”, “सत्यम शिवम सुंदरम”, “यशोमति मैया से”, “एक राधा एक मीरा”, “बड़ा नटखट है ये” और “ओ पालनहारे” जैसे भजनों का पूरा करवां ही है जिन्हें सुनकर पीढ़ियां संस्कारित हुई हैं। इस अवसर पर रीना त्रिपाठी , गौरजा गिरि, राजू शर्मा, जगदीश गुप्ता अग्रहरि, उपमा पाण्डेय सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।