अनोखा मंदिर कुतिया का मंदिर झांसी का प्रसिद्ध मंदिर
इसी जगह पर कुतिया की मौत हुई थी

कुतिया महारानी का मंदिर भारत में कहां है -जानिये

इसी जगह पर प्यारी काली डाॅगी की मौत हुई थी वहीं एक छोटे से मंदिर का निर्माण करा दिया और उस पर लिख दिया जय कुतिया महारानी माँ

कुतिया महारानी का मंदिर भारत में कहां है :कुतिया शब्द आपको बेशक सभ्रांत ना लगे मगर यह हकीकत है की एक मंदिर प्यारी स्वर्गवासी मादा स्वान के नाम से है जिस पर लोगों ने बरसों से बड़ी श्रद्धा से लिख रखा है जय कुतिया महारानी माँ ,भारत में आपने अजब गजब के मंदिर तो जरूर देखे होंगे लेकिन इस ख़बर में जान लीजिए कि भारत में आम और खास लोगों के मंदिर के साथ ही डाॅगी और एक मोटरसाइकिल का मंदिर भी है । कुतिया महारानी का मंदिर भारत में कहां है

ओम बन्ना धाम /बुलेट बाबा मंदिर

रॉयल इनफील्ड बुलेट का यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर से 50 किलोमीटर दूर पाली शहर के पास चोटिला गांव में है।

ओम बन्ना धाम बुलेट मंदिर-फोटो सोशल मीडिया

इसके अलावा एक मादा स्वान का भी मंदिर बनवाया गया है ,अब यह पूरी खबर पढ़ने पर आपको पता चल जाएगा कि आखिर कैसे हुआ।

फिल्म तेरी मेहरबानियां का दृश्य (इंटरनेट से)

वैसे भी जानवरों से प्यार करने वाली कहानियां हमारे भारत में कुछ कम नहीं हैं, फिल्म निर्माता के सी बोकाड़िया ने जानवरों से प्यार करने वाली फिल्म 1995 तेरी मेहरबानियां बनाई थी जिस फिल्म का नायक एक ब्राउनी नाम का कुत्ता था और कुत्ते की स्वामी भक्ति से प्रेरित इस कहानी में काले रंग के लैबराडोर नस्ल के कुत्ते ने मुख्य भूमिका निभाई थी या आप ये कह सकते हैं कि इस फिल्म का हीरो ही कुत्ता था और यह बेहतरीन काम प्रोड्यूसर के सी बोकाड़िया ही कर सकते हैं।

के सी बोकाड़िया (बीच में) Photo -mbi

आपने यदा-कदा सेना में पुलिस में या बम स्क्वायड में शहीद हुए कुत्तों को सम्मान मिलते अक्सर देखा होगा।

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आजकल सोशल मीडिया में एक पुरानी ख़बर बहुत वायरल हो रही है .

कुतिया को मंदिर सम्मान

कुतिया महारानी का मंदिर भारत में कहां है झांसी के रेवन और ककवारा गांव के लोगों ने जानवरों के प्रति प्यार दया और समर्पण की मिसाल कायम करते हुए एक काली रंग की डाॅगी का मंदिर बना कर उसे मरणोपरांत मंदिर सम्मान दिया है इस मंदिर पर लिखा है जय कुतिया महारानी माँ

जब दोनों गांव के लोगों ने पश्चाताप किया

दरअसल भूख से मर गई थी डाॅगी, क्योंकि रेवन गांव की रहने वाली यह कुतिया गांव में जब कहीं कोई खाने पीने का उत्सव शादी बरात या कोई और भंडारे इत्यादि का आयोजन होता था तो यह खाना खाने जरूर जाती थी। झांसी के रहने वाले संतोष ने बताया कि पहले इन गांवों में खाना खाने से पहले एक परंपरा थी जिसमें की एक स्थानीय वाद्य यंत्र रामपुरा बजाया जाता था और उसकी धुन सुनकर सभी आमंत्रित लोग खाने की पंगत में बैठने के लिए आ जाते थे यानी कि इस रामपुरा की आवाज़ का मतलब ही खाना खाने के लिए संकेत होता था तो एक बार ऐसी ही एक शादी में खाना खाने के लिए इस डाॅगी ने आवाज़ सुनी तो वह भी गांव की ओर चल पड़ी ,जब यह बीमार कुतिया खाना खाने पहुंची तो बारात में खाना खत्म हो गया था जिसके बाद ये पास के ककवारा गांव में बीमारी से थकावट के कारण देर से खाना खाने पहुंची तो वहां पर भी खाना खत्म हो गया था जिस कारण बताया जाता है कि इसने भूख से दम तोड़ दिया और जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो उन्हें गहरा दुख और पश्चाताप हुआ जिसके बाद में दोनों गांव के लोगों ने मिलकर उसी स्थान पर जहां दोनों गांवों की आपसी सीमा थी और इसी जगह पर इसकी की मौत हुई थी वहीं पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण करा दिया और उस पर लिख दिया जय कुतिया महारानी माँ अब गांव में कोई भी आयोजन होता है तो सबसे पहले गांव वाले इस डाॅगी महारानी के मंदिर में जाकर खाना चढ़ाकर उसका आशीर्वाद लेकर मांगलिक कार्य का शुभारंभ करते हैं… है ना वाकई में जानवरों से प्यार करने की अनूठी मिसाल वाली खबर। chandra.manish@gmail.com

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