देश का भाग्य भविष्य के इंजीनियरों के हाथ में

किसी देश का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश के इंजीनियरों का उस देश के विकास में कितना योगदान है और यह तभी संभव हो सकता है जब हमारे देश के शिक्षण संस्थान एक अच्छी और भीतर इंजीनियर का निर्माण कर सकें इसी को ध्यान में रखते हुए लखनऊ एमिटी विश्वविद्यालय इंस्टिट्यूट ऑफ द इलेक्ट्रॉनिक एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर द्वारा पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के विभिन्न विभागों के और विश्वविद्यालय शिक्षण संस्थानों के इंजीनियर के साथ साथ विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य देश में बेहतर इंजीनियर तैयार करना है जिससे देश के विकास में यह इंजीनियर भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें कार्यशाला के माध्यम से कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर एन सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से आज छोटे से छोटा बच्चा व विद्यार्थी आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है उसके देखते हुए शिक्षा प्रणाली में इस तरह के बदलाव होने चाहिए , शुरुआत से ही बच्चों को टेक्नोलॉजी से संबंधित जानकारियां पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए वहीं डिपार्टमेंट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर आईआईटी के प्रोफेसर जयराम कुमार ने बच्चों को इंजीनियर इस शोध को किस प्रकार से किया जाए इस बारे में जानकारी दी दूसरी ओर डॉक्टर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि इंजीनियरिंग और उन्नत तकनीक के माध्यम से हम अपने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इस कार्यशाला के दौरान आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर एस.एन. सिंह, फेलो IEEE (यूएसए), प्रोफेसर जे. राम कुमार, आईआईटी कानपुर डॉ. एस. के. सिंह, अध्यक्ष, IEEEयूपी अनुभाग के डॉ. शिव राम दुबे, आईआईटी इलाहाबाद के वरिष्ठ सदस्य एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने डॉ. अनिल कुमार कार्यक्रम डॉ. अनिल तिवारी, सहायक प्रो वीसी, एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस। कार्यक्रम के समन्वयक विस्तृत शोधकर्ता और IEEE के वरिष्ठ सदस्य डॉ. के.के. सिंह, सहायक प्रोफेसर, ईसीई, एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और डॉ वरुण कुमार कक्कड़, सहायक प्रोफेसर, बीटीकेआईटी, द्वाराहाट, उत्तराखंड बीबीडीएनआईटीएम के ब्रांच काउंसलर व प्रो. रफीक अहमद ब्रांच काउंसलर, बीबीडीआईटीएम भी मौजूद रहे