पीयूष मयंक
लखनऊ,रामचरितमानस को लिखने वाले तुलसीदास को नहीं पता था कि 2023 के जनवरी महीने के अंत तक रामचरितमानस का राजनीतिकरण हो जाएगा! मामला इस तरह से है कि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है, उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों में शूद्रो और अति पिछड़ों की महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, वैसे भी स्वामी प्रसाद मौर्य कई पार्टियों में पालकी उठा चुके हैं, इसलिए विवादों में बने रहना स्वामी प्रसाद मौर्या को खूब रास आता है जब स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी में थे ,तब बसपा सुप्रीमो मायावती के बहुत करीबी थे ,और समय-समय पर पार्टी का बचाव भी करते थे फिर इनका वैराग्य बसपा से हुआ, फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों का बखान करते करते इनका गला बैठ जाता था ,तब शायद इन्हें तुलसीदास की चौपाइयां याद नहीं थी, फिर अचानक स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी की नीतियां रास आने लगी थी और इस वक्त पक्के समाजवादी बने हुए हैं रामचरितमानस पर दिए गए बयान पर भी वरिष्ठ सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य को ऐसे बयानों से बचना चाहिए, शिवपाल यादव के बयान के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर यह जवाब दिया था “कि संत समाज के लोगों ने मेरी जीभ और सर काटने की घोषणाएं की हैं” जिसे मैं हरगिज बर्दाश्त नहीं करूंगा “यह मामला धीरे-धीरे राजनीतिक तौर पर तूल पकड़ता जा रहा है, संत समाज के लोगों का एक खेमा है और दूसरी ओर ओबीसी समाज के लोगों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में एकजुटता दिखाना शुरू कर दी है
, तुलसीदास कीचौपाइयों पर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को तुलसीदास की याद आई कि तुलसीदास ने समाज में अति पिछड़ों और दलितों के साथ बहुत अन्याय किया है और उनकी चौपाइयां अति पिछड़ों और दलितों के आत्मसम्मान पर ठेस पहुंचा रही हैं ,स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद संत समाज ने भी इनकी कटु आलोचना की है, और कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य सनातन धर्म को नीचा दिखाने के लिए अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी मोर्चा के लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियों को जलाकर अपना विरोध दर्ज किया है ओबीसी संगठन के लोगों और दलित मोर्चा ने एक और कार्यकर्ता ने कहा है कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियां निकाल देनी चाहिए नहीं तो बड़े पैमाने पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास के पास कोई ज्ञान नहीं था रामचरितमानस को लेकर यूपी में बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है ।
अभी तक विश्व हिंदू परिषद और कुछ संत संगठनों ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर एतराज तो जताया है पर जिस तरह से रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई हैं, उस से समाज में अगड़े पिछड़े दलित समुदाय के लोगों को उकसाने की कोशिश की गई है, जिस से राजनीति का गंदा खेल चलता रहे और राजनेता प्रमुख मुद्दों से आम लोगों की समस्याओं से ध्यान भटकाने में एक बार फिर सफल होते हुए दिख रहे हैं ,अब हम भारत के युवा पीढ़ी को सोचना होगा कि तुलसीदास के रामचरितमानस के के अतिरिक्त ढेरों सामाजिक बुराइयां समाज में व्याप्त हैं ,जिन्हें खत्म करने के लिए सभी को साथ आना पड़ेगा नहीं तो बहुत सारे ऐसे धर्माचार्य चाहे वो किसी भी पंथ और मजहब के हो या सफेदपोश राजनेता जिन्हें सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं है ,ऐसी ही अनाप-शनाप बातें कर समाज को विभाजित करते रहेंगे हमारा देश संविधान से संचालित होता है, इसके लिए किसी भी दल के किसी भी नेता से हम सभी को प्रमाण पत्र नहीं लेना है”