पीयूष मयंक
लखनऊ,उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज का दिन दूसरी बार इतिहास में दर्ज हो गया है सबसे पहले 1964 में जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी थी. उस समय विधानसभा कार्य समिति ने विधानसभा में विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए ₹2 का अर्थदंड लगाया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के समक्ष जब पुलिसकर्मियों को विधानसभा के वेल में खड़ा होता देख सभी निर्वाचित विधायकों के अंदर यह दृश्य कौतूहल पैदा करने के लिए काफी था।
पूरे विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अगुवाई में आरोपी बनाए गए छह पुलिसकर्मियों को 1 दिन की सजा विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा सुनाई गई सुनवाई से पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पूरी घटना से अवगत कराया गया था घटना 25 अक्टूबर 2004 की थी जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे और उनकी सरकार की नीतियों से क्षुब्ध होकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने कानपुर में धरना प्रदर्शन किया था विधायकों का आरोप था कि कानपुर में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो रही है और सरकार बिजली कटौती को रोकने में या उत्पादन बढ़ाने में पूरी तरह से विफल हो चुकी है इसी धरना प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक सलिल विश्नोई के ऊपर लाठीचार्ज किया गया था जिसके कारण उनका पैर टूट गया था ।
इस मुद्दे को विधायक सलिल विश्नोई ने विधानसभा में उठाया था और के इसी प्रकरण में 19 साल बाद विधानसभा अध्यक्ष ने आरोपियों को विधानसभा द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए सजा सुनाई है सजा सुनाए जाने से पहले विधानसभा अध्यक्ष ने पुलिस आरोपियों से पूछा कि आप सभी अपनी ओर से विधानसभा को क्या बताना चाहते हैं? विधानसभा अध्यक्ष का आदेश मिलते ही तत्कालीन रिटायर्ड सीओ बाबू पुरवा अब्दुल समद ने हाथ जोड़कर उपस्थित सभी विधायकों से अपने कृत्य के लिए माफी मांगी और भविष्य में ऐसा नहीं करने की कसम भी खाई..
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के प्रस्ताव और अनुमोदन को समूचे विपक्ष ने व्यापक समर्थन दिया था समर्थन करने वालों में रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर ने खड़े होकर सजा सुनाए जाने से पहले अपनी ओर से पूरे सदन को आश्वस्त किया .
सदन द्वारा दंडित किए जाने वाले उस समय के पुलिस कांस्टेबल छोटे लाल यादव उप निरीक्षक ऋषि कांत शुक्ला त्रिलोकी सिंह सिपाही मेहरबान सिंह और विनोद मिश्रा थे इस कार्रवाई पर प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे और पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश चौहान डीएस चौहान की नजर बनी हुई थी।