जावेद शाह खजराना
अगर हिंदी फिल्मों की सबसे खूबसूरत अदाकारा का नाम
तलब करें तो ज्यादातर लोग मधुबाला का नाम लेंगे।
हकीकत में मधुबाला बेहद हसीन~ओ~जमील थी।
शम्मी कपूर , प्रेमनाथ , भगवान दादा , भारत भूषण , लच्छू महाराज और बहुत से कलाकारों ने उनकी खूबसूरती को लेकर कई दिलचस्प किस्से बयान किए हैं।
मधुबाला पर इतना कुछ लिखा जा चुका है कि मुझे सिवाय इस सब्जेक्ट के कुछ और सुझा ही नहीं कि मैं उनके फिल्मी नाम को लेकर आपको ऐसी खास मालूमात से रूबरू कराऊं जिसका ताल्लुक #इंदौर से भी है।
मधुबाला का असली नाम मुमताज़ बेग़म था।
दिल्ली में पैदा हुई। किस्मत उन्हें बंबई ले आई।
बचपन में उन्होंने क़रीब 11 फिल्मों में बेबी मुमताज़ नाम से काम भी किया।
निर्माता~निर्देशक केदार शर्मा ने जब राजकपूर को थप्पड़ मारा और उन्हें हीरो बनाने की ठानी तब केदार ने राज कपूर से पूछा- बोल राज तेरे लिए हीरोइन किसे लूं?
तब राज कपूर ने मधुबाला का नाम सजेस्ट किया था।
राज कपूर और मधुबाला बाल कलाकार रह चुके थे।
फिल्म की शूटिंग के दौरान स्टूडियो में मेल~मुलाकात हो रहती थी। आकाशवाणी के प्रोग्राम में भी कई मर्तबा साथ में काम किया लिहाजा दोस्ती और जान~पहचान थी।
केदार शर्मा , #राजकपूर और मधुबाला #रणजीत स्टूडियो के मुलाज़िम थे लिहाजा #चंदूलाल शाह ने #नीलकमल फ़िल्म के लिए ये सोचकर फाइनेंस कर दिया वो समझे मुमताज नामी हिरोइन मुमताज शांति है। जब चंदूलाल ने देखा कि फ़िल्म की हिरोइन बेबी मुमताज है तो उन्होंने फाइनेंस करने से इंकार कर दिया।
जिद्दी केदार शर्मा ने कहा कि आप मुझ पर भरोसा रखे। चंदूलाल नहीं माने। केदार शर्मा ने नाराज होकर रणजीत स्टूडियो छोड़ दिया और बांबे टॉकीज के साथ मिलकर नीलकमल फिल्म बनाई।
नील कमल बतौर हीरो~हिरोइन राज कपूर और मधुबाला की पहली फिल्म थी।
नीलकमल फिल्म आजादी के सन 1947 में रिलीज हुई।
फिल्म की क्रेडिट लाइन में बेगम पारा , राज कपूर के बाद मुमताज नाम स्क्रीन पर आता है। नील कमल की रिलीज तक मधुबाला का नाम मुमताज ही था। बेगम पारा नामी हिरोइन थी लिहाजा उनका नाम सबसे अव्वल आया।
जैसा कि जिक्र हो चुका है उस दौर में मुमताज शांति नामक एक हीरोइन पहले से मौजूद थी। लिहाज़ा बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी ने बेबी मुमताज का नाम बदलने का मशवरा दिया। उन दिनों फिल्मी दुनिया में सक्रिय इंदौरी कवि हरिकृष्ण प्रेमी ने मुमताज को नया नाम मधुबाला दिया। हरिकृष्ण प्रेमी गीतकार और फिल्म निर्माता थे।
बहुत कम लोगों को जानकारी है कि इंदौर के कवि हरि कृष्ण प्रेमी की फ़िल्म निर्माण कम्पनी में बाला साहब ठाकरे ने अपनी जवानी के दिनों में एक सहयोगी के रूप में कुछ समय काम किया है। भास्कर में पर्दे के पीछे’ फ़िल्मी कॉलम लिखने वाले प्राची फिल्म्स धेनु मार्केट के मालिक मरहूम जयप्रकाश चौकसे के ससुर थे हरिकृष्ण प्रेमी।
यहाँ #हरिकृष्ण_प्रेमी का जिक्र इसलिए करना जरूरी है क्योंकि इन्होंने ही मुमताज को स्क्रीन नेम मधुबाला दिया था।
बहुत से लोग देविका रानी को नामकरण करने वाली बताते है। हालाकि नाम बदलने का मशवरा उन्होंने ही दिया था। मुमताज शांति नामक फेमस हीरोइन पहले से फ़िल्म इंडस्ट्रीज में मौजूद थी जिनके साथ मधुबाला ने अपनी पहली फ़िल्म बसंत शुरू की। लिहाज़ा देवीका रानी के सुझाव पर इंदौर के कवि हरिकृष्ण प्रेमी ने मुमताज बेग़म का नया नाम मधुबाला रखा।
मधुबाला यानि शराब पिलाने वाली लड़की
मधुबाला की आँखें बिल्कुल नशीली थी जिसमे डूबकर कई कलाकार और दर्शक दशकों तक मदहोश रहे ।
आज भी मधुबाला का नशा सर चढ़कर बोल रहा है।
मधुबाला की खूबसूरती पर प्रेमनाथ लट्टू थे।
दिलीप कुमार जान छिड़कते थे तो सनकी किशोर कुमार हिंदी फिल्मों की वीनस मधुबाला से शादी करने के चक्कर में मुसलमान बन बैठे।
आज भी मधुबाला की खूबसूरत तस्वीर देखकर ना जाने कितनों के दिल धड़क उठते है।
साभार -इंडियन सिनेमा लवर्स फेसबुक वॉल से