Manish Chandra
लखनऊ/रायबरेली, अगर हमें अपना और आने वाली पीढ़ियों का जीवन बचाना है तो पारिस्थितिकी तंत्र का सुधार और उनका बेहतर संरक्षण करने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे और यह तभी संभव है जब हम जलीय स्रोतों के पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण कर पाएंगे और इसका सबसे बेहतर उपाय मछली का संवर्धन ही है .. यह महत्वपूर्ण बात डॉक्टर उत्तम सरकार ने प्रयागराज के डलमऊ में मत्स्य बीज रैचिंग और जागरूकता कार्यक्रम में कहीं।
मत्स्य बीज रैचिंग से जलीय पारिस्थितिक तंत्र होगा संतुलित
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ के निदेशक डॉ. उत्तम कुमार सरकार, ने गुरुवार को कहा कि मछली बीज के नदी रैंचिंग से गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों सहित प्राकृतिक जल स्रोतों में इनकी संख्या बढ़ेगी और यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में मदद करेगा
बढ़ेगी किसानों की आय
डॉक्टर सरकार ने रायबरेली डलमऊ के रानी शिवाला घाट पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के प्रयागराज केंद्र के सहयोग से गंगा नदी में अनुवांशिक रूप उत्कृष्ट व प्रमाणित मत्स्य बीज रैंचिंग और जागरूकता कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा, “इस पहल से मछली किसानों की आय बढ़ाने और आम जनता के लिए प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार की उपलब्धता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी”। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) तथा प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत 1 लाख आईएमसी के अनुवांशिक रूप से उत्कृष्ट व प्रमाणित मत्स्य बीज फिंगरलिंग को गंगा में छोड़ा गया।
डॉ उत्तम सरकार ने यह भी अवगत कराया कि इस प्रकार के अनुवांशिक रूप से उत्कृष्ट व प्रमाणित मत्स्य बीज फिंगरलिंग जो कि भाकृअनुप- राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ द्वारा प्रदान किए गए हैं का रैंचिंग कार्यक्रम आगे भी निरंतर रूप से अन्य जनपदों मे जारी रहेगा।
इस मत्स्य बीज रैचिंग जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती निर्मला पासवान एमएलसी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और उनके साथ ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के प्रयागराज केंद्र प्रभारी डॉ डीएन झा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर उत्तम सरकार ने इस जागरूकता कार्यक्रम में आकर न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाने के फार्मूले बताए हैं बल्कि हम अपने जलीय स्रोतों की पारिस्थितिकी को किस तरह से मजबूत बनाकर उसका संरक्षण करें इस बात की तरफ भी इशारा किया है उन्होंने कहा कि डॉक्टर सरकार की चिंता पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है झा ने कहा कि जब हमारे जलीय स्रोतों की पारिस्थितिकी मछलियों के कारण सही रहेगी तब हम एक बेहतर पर्यावरण का संरक्षण करके अपनी धरती और लोगों को अच्छा वातावरण और सेहत भी प्रदान कर सकेंगे।