नकलची गिरोह: एक से डेढ़ लाख रुपये दीजिए और ऑनलाइन इंजीनियरिंग एंट्रेंस परीक्षा एग्जाम क्लियर कीजिए। यह गोरख धंधा एजुकेशन कंसलटेंसी के नाम पर देहरादून में चलाया जा रहा था एसटीएफ की सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी करके इन नकलचियों का भंडाफोड़ किया।इंजीनियरिंग एंट्रेंस परिक्षा की कराते थे नकल, पुलिस ने किया दो को किया गिरफतार, इस मामले के दो सरगना अभी तक फरार हैं जिनकी तलाश पुलिस सरगर्मी से कर रही है।
पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो एंट्रेंस एग्जाम देने वाले अभ्यर्थियों के सिस्टम का सर्वर रूम से एक्सेस पहले ही ले लेते थे और ऑनलाइन परीक्षा के पेपर हल करते थे इन आरोपियों के खिलाफ मेरठ एसटीएफ पुलिस ने शिकायत की जिस पर आईटी एक्ट धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।
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नकलची गिरोह देहरादून में सक्रिय था
उत्तराखंड की एसओजी पुलिस ने रायपुर के एक परीक्षा केंद्र से नकल करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है वही इस गिरोह के मुख्य दो सरगना अभी भी फरार चल रहे हैं इन दोनों आरोपियों के पास से मोबाइल फोन और एंट्रेंस एग्जाम के कई दस्तावेज बरामद हुए हैं, एसओजी टीम के अनुसार यह आप आई एग्जाम सेंटर में पहले से ही सर्वर रूम के जरिए कुछ सिस्टम का एक्सेस ले लेते थे जिसके माध्यम से वह लोगों को नकल करते थे प्रत्येक अभ्यर्थी से डेढ़ से दो लाख रुपए वसूले जाते थे।
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने पत्रकारों को बताया कि देहरादून की एसओजी और मेरठ की एसटीएफ टीम की संयुक्त कार्रवाई में सहस्त्रधारा रोड के एडु चॉइस कंसल्टेंसी नाम की कंप्यूटर लैब में जब अचानक दविश दी गई तो यहां पर 20 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच में तमिलनाडु के वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी की ऑनलाइन परीक्षा हुई थी और इसी परीक्षा में इन नकलची गिरोह ने यह कारनामा किया था जिस्म की बिहार हाल के निवासी जितेश कुमार और राहुल कुमार को हिरासत में लेकर के उनके पास से मोबाइल फोन लैपटॉप और परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र वी एप्लीकेशन नंबर भी बरामद कर लिए गए हैं।
पुलिस ने बताया कि इस ग्रह का मुख्य सरगनक कुलवीर सिंह जो कि हरियाणा का निवासी है और दूसरा गौरव जो की बिजनौर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है इन्हीं दोनों के इशारे पर नल का यह गोरख धंधा चलाया जा रहा था।
एनीडेस्क सॉफ्टवेयर के जरिए मास्टरमाइंड काम करते थे
पुलिस ने बताया कि यह लोग अलग-अलग लैब में बैठकर चिन्हित कंप्यूटर सिस्टम को सर्वर रूम से पहले ही एक्सेस कर लेते थे और जिन छात्रों को पेपर सॉल्व करवाने होते थे उन्हें पहले से ही एक्सेस पर लिए गए कंप्यूटर सिस्टम पर बैठा दिया जाता था और सर्वर रूम में बैठकर एनीडेस्क सॉफ्टवेयर के जरिए पेपर सॉल्वर पेपर को ऑनलाइन सॉल्व करके जमा कर देता था पेपर सॉल्वर एग्जाम के बीच-बीच में ऑनलाइन पेपर की स्क्रीनशॉट दूसरे बैठे लोगों को और साथ ही परीक्षार्थियों को भी भेजता रहता था जिससे कि उन्हें हंड्रेड परसेंट पेपर सॉल्व होने की सूचना भी मिलती रहती थी।