बहराइच भेड़िया कथा: भेड़िया पकड़ना इतना आसान नहीं
ऑपरेशन भेड़िया की रिपोर्टिंग का आंखों देखा हाल

बहराइच भेड़िया कथा: भेड़िया पकड़ना इतना आसान नहीं

रामेंद्र सिंह
(लेखक दूरदर्शन के वरिष्ठ संवाददाता हैं,इनके द्वारा दूरदर्शन पर की गई रिपोर्टिंग का आंखों देखा हाल इनकी फेसबुक वॉल)

बहराइच भेड़िया कथा:दूरदर्शन न्यूज़ ने हमें बहराइच के ऑपरेशन भेड़िया की रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसमें रिपोर्टिंग के साथ पेट्रोलिंग और सर्चिंग अभियान की हिस्सेदारी भी शामिल थी। रात 7:00 बजे से लेकर 9:00 के बीच हम लोग घाघरा के किनारे बसे 35 से 40 गांव की यात्रा पर निकल जाते थे और सुबह 4:00 बजे 5:00 बजे लौट कर आते थे।

रात में ऑपरेशन भेड़िया रिपोर्टिंग

इन 6 दिनों में उस हर गांव का रास्ता हमें याद हो गया था जो इस भेड़िया के आक्रमण के दायरे में था। कई जंगली जानवरों से हम लोगों की मुलाकात हुई इसकी सूचना भी हम लोग वन विभाग के अधिकारियों को देते रहे। दिनांक 9/9/2024 को एक भेड़िया पकड़ लिया गया।

बहराइच भेड़िया कथा का शिकार ये परिवार

बहराइच भेड़िया कथा हम भी निकल पड़े भेड़ियों की ख़बर तलाशने

वन विभाग में जिन 6 भेड़ियों को ट्रेस किया था उनमें यह पांचवा भेड़िया था जो पकड़ा गया था। हमें उम्मीद थी कि आज रात अकेला बचा भेड़िया निश्चित रूप से हमला करेगा इसके लिए मानसिक रूप से हम लोग तैयार थे। रात 8:30 बजे हम लोग अपनी गाड़ी से टीम के साथ घाघरा के किनारे गांव के दौरे पर निकल पड़े। कई जंगली जानवर हमारा रास्ता रोक कर बैठे हुए मिलते थे जो गाड़ी पहुंचने पर ही रास्ता छोड़ते थे। क्योंकि यह इलाका इन्हीं का था हम उसमें जबरन काबिज हो रहे थे

रात में भेड़िया जैसा जानवर हमको सड़क पर दिखा इसकी जानकारी हमने मुख्य वन संरक्षक डॉक्टर रेनू सिंह को दी उन्होंने लोकेशन मांगी और अपने स्टाफ से तुरंत बात करने को कहा। डीएफओ गोंडा को हमने इसकी फोटो भेजी उन्होंने कहा यह भेड़िया नहीं सियार है।

हमारा सफर फिर आगे बढ़ चला अगले गांव में हमें पता चला कि मैकू पुरवा गांव में भेड़िए ने 10 साल की लड़की पर हमला किया है। उस गांव की दूरी लगभग 20 किलोमीटर से अधिक थी। हमें प्रशासनिक लोगों से पता चला की लड़की को महासी चिकित्सालय लाया जा रहा है, हमने अस्पताल पर रह कर ही उसका इंतजार किया। इस समय रात के 1:30 बज रहे थे। लड़की पर पीछे से भेड़िए ने हमला किया था इस वजह से गला कटने से बच गया था सीएचसी में फर्स्ट एड देने के बाद उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।

इसके बाद हमने रात 2:00 से 2:30 के बीच गांव का दौरा किया। गांव के हालात निश्चित रूप से बहुत खराब है। घाघरा के किनारे बसे गडरियन का पुरवा गांव में मूलभूत सुविधाएं भी नदारत दिखी। जिन लज्जावती की बेटी पर भेड़िया ने हमला किया था उनके पति की मृत्यु हो चुकी है। उनकी एक छोटी सी कोठरी में दरवाजा भी नहीं लगा है जिसके कारण भेड़िया उनकी बेटी को उठा ले गया। इनको ना विधवा पेंशन मिलती है, ना ही इनका राशन कार्ड बना है। बिजली की लाइन तो यहां तक आई है पर प्रधान ने बल्ब लगवाने की भी जहमत नहीं उठाई है। भेड़िया मां के बगल से बेटी को उठा ले गया और मां को भनक तक नहीं लगी। लगभग 20 मीटर दूर रास्ते पर भेड़िए की गिरफ्त ढीली होने पर बेटी की आवाज आई, पड़ोस के एक लड़के ने भेड़िया को दौड़ाया तो वह लड़की को छोड़कर भाग गया। लड़की की उम्र अधिक थी और वजन भी था इस वजह से भेड़िया उसे लेकर भाग नहीं सका। अगर कोई छोटा बच्चा होता तो शायद उसका बच पाना मुश्किल हो जाता।

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वन विभाग के बड़े अधिकारी, पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन और ग्रामीण इस अभियान में लगे हुए हैं, उम्मीद की जानी चाहिए यह छठवाॅ आदमखोर भेड़िया भी जल्द पकड़ा जाएगा और यहां का पुराना जीवन बहाल हो सकेगा। भेड़िया बहुत सिंसियर जानवर होता है और अपने परिवार के साथ रहता है। ये अपने बूढ़े परिवार के लोगों का भी ख्याल रखता है।

बहराइच भेड़िया कथा प्रायः भेड़िया आदमखोर नहीं होते हैं, कभी-कभी भोजन के अभाव या उनके साथ मनुष्य द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के कारण यह आदमखोर हो जाते हैं।

यह भेड़िए भी दुर्लभ प्रजाति के हैं इनकी संख्या अब काफी कम बची है। मनुष्य और वन्य जीव जंतुओं के बीच यह टकराव रुकना चाहिए इसके लिए दोनों को अपनी परिधि में रहने की आदत डालनी पड़ेगी।

बहराइच जनपद एक तरफ कतर्निया घाट के वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी से जुड़ा है तो दूसरी तरफ घाघरा के तट से जुड़ा हुआ है। इसका जंगली इलाका लखीमपुर और नेपाल के बॉर्डर तक जुड़ता है जिसके कारण जंगली जीव जंतुओं का प्रभाव अधिक है।