Senior citizen: देशभर में पहली बार उत्तराखंड राज्य ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सीनियर सिटीजंस यानी कि बेसहारा माता-पिता जिनकी संतान की यदि मृत्यु हो गई है तो उन्हें संपत्ति में अधिकार दिया जाएगा।
अभी तक सिर्फ पत्नी को यह कानूनी अधिकार मिलता था लेकिन अब पहली बार उत्तराखंड में बेसहारा माता-पिता की जरूरत के लिए यह कानूनी अधिकार दिया जाएगा। यूसीसी यानी कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद आम लोगों के उत्तराधिकार से जुड़ा एक बड़ा बदलाव कानून में नजर आएगा। यदि किसी बुजुर्ग माता-पिता के संतान की मृत्यु हो जाती है तो माता-पिता भी उसकी जल अचल संपत्ति में हिस्सेदार होंगे बल्कि वर्तमान में जो उत्तराधिकार कानून है उसके अंतर्गत पति की मृत्यु होने के बाद बैंक बैलेंस संपत्ति आदि व्यक्ति की पत्नी को ही मिलता था इसमें खामी यह थी कि यदि व्यक्ति के माता-पिता बुजुर्ग हैं और उसे संतान के अलावा उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं होता था तो आमतौर पर यह देखा जाता था की पत्नी को संपत्ति का अधिकार मिलने के बावजूद उन माता-पिता की देखभाल का जिम्मा बहुत कम ही लोग उठाते थे जो की सामाजिक और नैतिक रूप से सम्मानजनक नहीं है और माता-पिता बेसहारों की भारतीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हो जाते थे।
Senior citizen को यूसीसी से मिली बड़ी राहत
यूसीसी लागू होने की तिथि बेहद करीब समझी जा रही है क्योंकि इसकी नियमावली का ड्राफ्ट बीते दिन अंग्रेजी भाषा में सरकार को सोपा गया है जिसका अनुवाद करने के लिए विधि और न्याय विभाग के साथ ही तकनीकी समीक्षा के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद मंत्रिमंडल की बैठक में उसे प्रभावी तौर पर लागू करने की तैयारियां जोरों पर हैं । माना जा रहा है समान नागरिक संहिता अब जल्द ही लागू हो जाएगी।
छह माह के समय के अंदर पति-पत्नी को विवाह का पंजीकरण करना होगा
यूसीसी के ड्राफ्ट में दो वॉल्यूम है जो की चार हिस्सों में विभाजित किए गए हैं एक वॉल्यूम में 200 और दूसरे में 410 पन्नों का ड्राफ्ट है जिसमें विवाह और विवाह विच्छेद के साथ ही लिव इन रिलेशन शिप जन्म और मृत्यु पंजीकरण उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी सभी प्रक्रियाओं को बेहद सरलता के साथ बताया गया है।
इस नियमावली में पंजीकरण जो की सभी प्रकार के मामलों जो की समान नागरिक संहिता में बताए गए हैं उसके अनुसार पंजीकरण की प्रक्रिया और सजा का प्रावधान किस तरह का है यह सब भी बताया गया है इस नियम के तहत यूसीसी लागू होने के बाद उन सभी पति-पत्नी को अपनी शादी का पंजीकरण कराने के लिए 6 मा का समय दिया जाएगा जिन्होंने कानून लागू होने से पहले शादी की है।
इस कानून में जिन दंपतियों ने समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद शादी की है उन्हें अपनी शादी के पंजीकरण के लिए 3 महीने का समय दिया जाएगा और सबसे महत्वपूर्ण बात उत्तराधिकार कानून के तहत संतान की संपत्ति में माता-पिता को भी एक हिस्सा देने का एक बड़ा बदलाव प्रस्तुत किया जा रहा है जिसकी समझ में बेहद आवश्यकता महसूस की जा रही थी।