DM उत्तरकाशी ने मानसून पूर्व तैयारियों के दिए निर्देश इसलिए दिए हैं क्योंकि यदि समय पूर्व तैयारियां कर ली जाएंगी तो आशंकित आपदाओं से निपटने में लोगों और जिला प्रशासन को सुविधा होगी।जिले में मानसून पूर्व की तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला की अध्यक्षता में जिला सभागार में बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने मानसून काल के दौरान संभावित आपदाओं से निपटने के लिए अधिकारियों को अभी से तैयार रहने के साथ ही 15 दिन में सभी विभागों की कार्य योजना प्रस्तुत करने और तहसील स्तर पर नियंत्रण कक्षों को निरंतर संचालित किए जाने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन के काम में आने वाली आवश्यक वस्तुओं, चिकित्सा सुविधाओं, दवाओं, खाद्यान्न, मशाीनों एवं उपकरणों की उपलब्धता का डाटा तैयार करने के साथ ही जनोपयोगी सेवाओं, शरणालयों, पंचायत घरों आदि का ब्यौरा भी तैयार रखने की हिदायत दी। इन सभी सेवाओं के साथ ही सड़कों, पुलों, स्कूलों और आपदा प्रबंधन में सहायक अन्य सुविधाओं का जी.आई.एस.मैपिंग करने के निर्देश देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि हमें हर परिस्थिति से निपटने के लिए आवश्यक इंतजाम और तैयारियां सुनिश्चित करनी होंगी इसके लिए नई तकनीकों का बेहतर इस्तेमाल किया जाना जरूरी है।
जिला सभागार में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि मानसून सत्र के दृष्टिगत जो भी पूर्व तैयारी की जानी है उसके लिए सभी विभागों द्वारा तत्काल आवश्यक कार्यवाही करते हुए कार्य योजना तैयार कर ली जाए। योजना में विभाग के पास उपलब्ध संसाधनों एवं सेवाओं का ब्यौरा शामिल करने के साथ ही संभावित आपदा के प्रबंधन की रूपरेखा प्रस्तुत की जाय। उन्होंने कहा कि मानसून काल के दृष्टिगत तहसील स्तर पर भी आपदा कंट्रोल रूम 24 घंटे संचालित किए जांय ताकि कोई घटना होने पर इसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों एवं विभागों को मिल सके और समय से आपदा नियंत्रण, राहत एवं बचाव कार्य तथा अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं संपादित की जा सके। सभी विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर कोई भी घटना के घटित होने की दशा में तत्परता से आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने आपूर्ति विभाग को जिले में सितंबर माह तक के लिए खाद्यान्न स्टाॅक उपलब्ध रखने के निर्देश देने के साथ ही सड़कों के संवेदनशील एवं भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए उन स्थानों पर जेसीबी मशीन उपलब्ध कराने और इन मशीनों के ऑपरेटरों के मोबाइल नंबर आपदा कंट्रेाल रूम, सभी तहसील कार्यालयों एवं पुलिस थानों में उपलब्ध कराने और वैकल्पिक मार्गों को भी दुरस्त रखने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने जिले की सभी प्रमुख नदियों में जल प्रवाह एवं नदियों के व्यवहार की नियमित निगरानी एवं आंकड़ा संग्रह करने तथा ड्रोन वीडियोग्राफी करने निर्देश देते हुए कहा कि संभावित खतरे वाले स्थानों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किए जाने की संभावनाओं की पड़ताल की जाय। बैठक में बताया गया कि भागीरथी नदी में मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना द्वारा झाला, गंगनानी आदि स्थानों पर पर अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किए जाने की कार्यवाही की जा रही है, इस तरह के इंतजाम असी गंगा और इन्द्रावती नदी में भी किए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी ने नदी किनारे निवास करने वाले लोगों का सर्वेक्षण कर उनका डाटाबेस तैयार करने की हिदायत देते हुए कहा कि इस टारगेट समूह को आपदा की स्थिति तत्काल सूचना पहुंचाने और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तत्काल अन्यत्र सुरक्षित ले जाने हेतु ठोस कार्ययोजना तैयार रखंे। नगर क्षेत्र के गिरासू भवनों को भी नगर पालिका द्वारा नोटिस देकर आवश्यक कार्यवाही का जाय, ताकि जर्जर भवनों के कारण जान-माल का नुकसान न हो सके।
जिलाधिकारी ने बैठक में उपस्थित सेना, NDRF, ITBP,BRO के अधिकारियों से भी आपदा प्रबंधन के संबंध में विचार-विमर्श करते हुए प्रशासन का सहयोग करने की अपील की।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार, एसडीएम भटवाड़ी चतर सिंह चैहान, एसडीएम डुंडा मीनाक्षी पटवाल, प्रधानाचार्य एनआईएम देवल बाजपेई, सीओ प्रशांत कुमार, आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल सहित विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी, सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी के अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में एसडीएम बड़कोट जितेन्द्र कुमार, एसडीएम.पुरोला देवानन्द शर्मा सहित बड़कोंट एवं पुरोला क्षेत्र के अन्य अधिकारियां ने भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया।