गुप्तकाशी:बाबा केदार की पंचमुखी डोली गुप्तकाशी से फाटा के लिए हुई प्रस्थान
प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची

गुप्तकाशी:बाबा केदार की पंचमुखी डोली गुप्तकाशी से फाटा के लिए हुई प्रस्थान

गुप्तकाशी:बाबा केदारनाथ की पंचमुखी  डोली आज रात प्रवास के लिए  अपने दूसरे पड़ाव फाटा के लिए पहुंचेगी। बाबा केदार की डोली आज विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से निकलकर अपने दूसरे पड़ाव के लिए प्रस्थान कर रही है , इस दौरान भक्तों की आस्था का सैलाब रास्ते में उमड़ पड़ा।दर्शन करने के लिए सैंकड़ों लोग आ गए पूरा इलाका बाबा केदार की जयकारों से गूंज उठा। इसके पहले सोमवार को बाबा केदार शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए प्रस्थान हुए । भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली सेना के बैंड की धुनों पारंपरिक वाद्य यंत्रों और भक्तों के जयकारों के साथ बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव डोली अपने प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची और फिर सोमवार को सुबह 5.30 पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी बागेश लिंग महाराज ने गर्भगृह में विराजमान भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार मद्महेश्वर और ओंकारेश्वर भगवान को बाल भोग लगाकर पुजा अर्चना की।

पंचकेदार गद्दीस्थल में विराजमान किया,गुप्तकाशी

इस महाभिषेक पूजा के बाद प्रातः 8.30 बजे बबा को महाभोग लगाया गया और इसके बाद पुजारी बागेश लिंग, पुजारी टी. गंगाधर लिंग और अनय पुजारियों ने भी ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से चल उत्सव विग्रह मूर्ति को पंचकेदार गद्दीस्थल में विराजमान किया। जहां पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने वेदपाठी आचार्य यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी एवं आशाराम के वेद मंत्रोच्चारण के बीच इस साल केदारनाथ धाम के लिए नियुक्त किए गए मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग को छह माह की पूजा का संकल्प कराते हुए अचकन और पगड़ी पहनाने के साथ ही पंचमुखी चल उत्सव मूर्ति को स्वर्ण मुकुट पहनाकर डोली में जयकारे के साथ विराजमान किया गया।

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