…लो आ गई फिर फ़र्रुख़ जाफ़र की याद

सालगिरह पर वर्चुअल सम्मेलन ‘यादों की महफ़िल अपनों के साथ’

Manish Chandra
केसर की तरह महकती रहेगी आपकी अदायगी ,अदायगी का वह तिलस्म- जिसकी स्क्रीन पर मौजूदगी से अवध की खुश्बू आती है, जिनके नाम से लखनऊ का कद बढ़ जाता है और उनके तारीखी हुनर की ही बदौलत हमको वो रुतबा हासिल हुआ है जो आज तक एक्टिंग की उम्र में अभी तक किसी फनकार या अदाकार को नहीं मिला यानी कि 80 साल की उम्र में गुलाबो सिताबो फिल्म में फातिमा बेगम के किरदार के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से नवाज़ा जाता है । कौन भूल सकता है पीपली लाइव की वो ठेठ देहाती कर्कश आवाज में चिल्लाने वाली अम्मा की अदाकारी , वाकई में कहना पड़ेगा कि इतनी उम्र में कोई बूढ़ी अम्मा एकदम जिंदा अभिनय करके हम सबका दिल जीत लेंगी यकीनन अब नामुमकिन सा नजर आता है कि उनके बिना दूसरी कोई फ़र्रुख़ ज़ाफर होंगी या नहीं।

गुलाबो-सीताबो फ़िल्म की मशहूर अदाकारा मरहूम फ़र्रुख जाफ़र की सालगिरह पर ‘संचित स्मृति ट्रस्ट’ द्वारा एक वर्चुअल सम्मेलन ‘यादों की महफ़िल अपनों के साथ’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस प्रोग्राम में फ़र्रुख़ ज़ाफ़र के परिवार और करीबी लोगों के साथ-साथ फ़िल्म जगत के लोग भी शामिल रहें। सभी ने फ़र्रुख़ जी से जुड़ी अपनी यादें व्यक्त की। उनके फ़िल्मी सफ़र से लेकर राजनीति में दखल तक, उनकी तमाम मसरुफ़ियत और उनसे जुड़े हुए सभी मसलों पर बात हुई। फ़र्रुख़ ज़ाफर ने स्वदेश ,पीपली लाइव ,अनवर का अजब किस्सा, बेयरफुट टू गोवा ,जानिसार, अलीगढ़, सुल्तान ,अम्मा की बोली, फोटोग्राफ ,सीक्रेट सुपरस्टार, व्हाट विल पीपल से और उमराव जान जैसी फ़िल्मों मे काम करके अदब की अदायगी – अवध और गंगा जमुना की विरासत में पहचान कायम की है ।