International Migrant Uttarakhandi Conference : विदेश में रोजगार, उत्तराखंड के लोगों में है विशेष योग्यताएं

International Migrant Uttarakhandi Conference:उत्तराखण्ड में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन के तीसरे सत्र में कौशल विकास और विदेश में रोजगार की संभावना पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सत्र की विषय वस्तु रखते हुए बताया कि उत्तराखण्ड सरकार युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रही है। आईटीआई में उद्योगों की जरूरत के अनुसार रोजगार परक कोर्स संचालित किए जा रहे हैं साथ ही राज्य में नई शिक्षा नीति भी लागू कर दी गई है।

सत्र के दौरान आई.आई.टी. दिल्ली के प्रो. एस.के. साहा ने कहा कि गांवों के विकास में तकनीकी का प्रयोग किया जाना चाहिए। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी वियतनाम में ए.आई. के प्रोफेसर अंचित बिजल्वाण ने कहा कि ज्यादातर विदेशी शिक्षण संस्थान प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा दे रहे हैं। भारत में भी शिक्षा प्रणाली का बदलाव देश को विकसित करेगा।

यूएई से प्रवासी उत्तराखण्डी श्री गिरीश पंत ने कहा कि विदेश में रोजगार के लिए स्किल के साथ ही युवाओं को संबंधित देश के नियम कायदों की भी सही जानकारी देनी चाहिए। खासकर जालसाजों के जरिए, विदेश जाने की प्रवृत्ति के खतरों के प्रति हमें लोगों को जागरूक करना होगा। कौशल विकास विभाग में विदेश रोजगार प्रकोष्ठ की कॉर्डिनेटर चंद्रकांता ने बताया कि प्रदेश सरकार युवाओं को विदेश में रोजगार के लिए प्रशिक्षण दे रही है। इसके तहत जापान में कई युवाओं को रोजगार प्रदान किया जा चुका है। अब जर्मनी और ब्रिटेन में रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) अहमदाबाद के डॉ. अमित द्विवेदी ने कहा कि संस्थान युवाओं में उद्यमिता विकास के लिए हर तरह से प्रशिक्षण और सहायता दे रहा है।

आईआईटी रुड़की के प्रो. आजम खान ने कहा कि आज उत्तराखण्ड में स्टार्टअप के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इसमें प्रवासी समुदाय मदद कर सकता है। खासकर स्टार्टअप के मैंटोरशिप में प्रवासी मददगार हो सकते हैं। सनफौक्स टेक्नोलॉजी के सह संस्थापक रजत जैन ने कहा कि उत्तराखण्ड में स्टार्टअप के लिए शानदार ईको सिस्टम है, युवाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। इस दौरान सत्र का संचालन दून विवि की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल ने किया।