अब ऋषिकेश में भी गूंजेगी कैलाश की सूफी शिवभक्ति
ऋषिकेश, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने के बाद परमार्थ निकेतन पधारे पद्म श्री कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंटवार्ता की। स्वामी और कैलाश खेर ने मुम्बई व परमार्थ निकेतन में ‘‘कैलाश खेर एकेडमी फाॅर लर्निग आर्ट’’ खोलने के विषय में विस्तार से चर्चा की।
इस मौके पर पद्म श्री प्रहलाद टिपन्या भी उपस्थित थे, उन्होंने अपनी रूहानी आवाज़ में सूफी संगीत और संत कबीरदास की रचनायें गायीं, दोनों गायकों की जुगलबंदी अद्भुत थी।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पावन कैलाश की धरती पर भगवान शिव विराजमान होते हैं परन्तु आज शिव की धरती पर अपने कैलाश पधारे है। कैलाश खेर जी का स्वभाव, प्रभाव और प्रभुभाव अद्भुत है। स्वामी ने ‘‘कैलाश खेर एकेडमी फाॅर लर्निग आर्ट’’ के विषय में जानकारी प्रदान की।
सूफी गायक कैलाश खेर ने कहा कि बच्चों के अन्दर जो कलायें हैं उन्हें निखारने में मदद करें न कि उन पर परीक्षा में 99 प्रतिशत लाने हेतु दबाव बनायें। माता-पिता अपने ख्वाब को अपने बच्चों पर न थोपें बल्कि बच्चों को अपने वेग के साथ आगे बढ़ने दें। हर बच्चा निर्विघ्न, निर्विकल्प और चैतन्य रूप है। हर बच्चा एक विशेष हुनर के साथ पैदा होता है, उनके हुनर को तराशे और आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करें। उन्होंने युवा पीढ़ी को अपने कर्तव्यों का पालन करने का संदेश देते हुये कहा कि निज को खोजना और जानना ही हमारा सबसे प्रथम कर्तव्य है।
कैलाश खेर ने कहा कि परमार्थ निकेतन में मैं भी एक ऋषिकुमार था। मेरा तो स्वभाव ही अभाव से निर्मित हुआ। इसी को देखते हुये पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद से यहां पर ‘‘कैलाश खेर एकेडमी फाॅर लर्निग आर्ट’’ ‘कला धाम’ खोलने जा रहे हैं। पृथ्वी पर बहुत सी धर्मशाला और भवन है अब वैचारिक समन्वय केन्द्र (वैचारिक मन्दिर) खोलने की जरूरत है ताकि परिवारों में सामंजस्य स्थापित हो। उन्होंने बताया कि मुम्बई में ‘सागर आर्ट’ प्रकल्प खोला जायेगा तथा गंगा तट परमार्थ निकेतन में कला धाम वैचारिक मन्दिर की स्थापना की जायेगी, जिसमें संगीत के साथ वेद मंत्रों का उच्चारण, अध्यात्म क्या है? भावी पीढ़ी को संस्कारों सें सिंचित कैसे करें? तथा यहां पर बच्चों की काउंसलिंग की जायेगी, बच्चे जीवन जीना और जीवन में शान्ति का समावेश कैसे हो इन सब का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इन केन्द्रों में संगीत और अध्यात्म का साथ-साथ प्रशिक्षण दिया जायेगा। मुम्बई और परमार्थ निकेतन के पश्चात कला मन्दिर की शाखायें विश्व के अन्य देशों में भी खोलने की योजना बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि अब देश को मीनारों, दीवारों और इमारतों की जरूरत नहीं है हमें तो हृदय परिर्वतन करने वाले केन्द्रों की जरूरत हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कैलाश खेर और प्रहलाद टिपन्या का रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनन्दन किया। वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण का संदेश देते हुये सभी ने विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।