Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को आखिरकार लंबी सुनवाई के बाद बेल देदी है।बेल देते वक्त देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को लेकर के सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लताड़ा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की तरह काम नहीं करना चाहिए।
मनीष चंद्रा
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ताकीद करते हुए कहा कि देश की सर्वोच्च से जांच एजेंसी को अपनी छवि बचाकर रखनी चाहिए और उसे पिंजरे में बंद तोते की छवि से बाहर निकलना चाहिए ।
जस्टिस उज्जवल भुइयां ने सीबीआई पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई ने ईडी मामले में केजरीवाल को मिली हुई जमानत में बाधा डालने के लिए ही उन्हें गिरफ्तार किया था जबकि जस्टिस सूर्यकांत ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध बताया है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी सीबीआई को 22 महीनों तक क्यों याद नहीं आयी
इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट से केजरीवाल को मिलिट्री अदालत में जमानत के लिए भेजा जाए तब 13 सितंबर को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस भुईयां ने कहा , ईडी मामले में जमानत मिलने के बाद सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी केवल उनकी जेल से रिहाई को रोकने के लिए थी सीबीआई ने उन्हें पहले गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं की मार्च 2023 में उनसे पूछताछ की गई थी एड मामले में जमानत मिलने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और उनकी हिरासत की मांग की इस तरह 22 महीने से अधिक समय तक गिरफ्तारी की आवश्यकता सीबीआई को महसूस नहीं हुई सीबीआई की यह कार्रवाई गिरफ्तारी के समय पर भी गंभीर सवाल उठाती है”
CBI को जूलियस सीजर की पत्नी की तरह निष्पक्ष होना चाहिए
कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की तरह काम नहीं करना चाहिए साथ ही उसे सभी संदेहों से परे होना चाहिए बर एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा…
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से ये कहा कि “सीबीआई को निष्पक्ष रूप से देखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी मनमानी तरीके से ना हो देश में धारणा मायने रखती है और सीबीआई को अपने लिए पिंजरे में बंद तोते वाली धारणा को दूर करना चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर का तोता है सीबीआई को सीजर की पत्नी की तरह होना चाहिए संदेश से परे’