भाषा कब कहती है
मैं बड़ी या छोटी…
भाषा कब कहती है.
मुझे कहो या नहीं
हम खुद भाषा पर उंगली उठाते हैं।
भाषा सिर्फ अँग्रेजी या हिन्दी नहीं
भाषा है…..
उस दूर खड़े बच्चे का आपको देखकर मुस्कराना
अजनबी पथिक का बिना शब्द शैली के
लोगों से संचार होना….
भाषा का व्याकरण जाने बगैर भी
आप उसके प्रसारक हो सकते हैं…
भाषा वह जो सूरदास ने कही..
भाषा वह जो कबीर ने कही..रहीम ने कही ..
भाषा वह जो रसखान ने बोली……
बॅंधी नहीं है भाषा….
अमीर गरीब के हृदय स्पन्दन में..
किसी के मन के भाव.. चेहरे के उदासी..
चलने की शालीनता..
जो पढ़ ले वह भाषा है..
भाषा देश काल और परिस्थिति का माध्यम
चिन्ह हो सकती है…
लेकिन जो सब के भावों की अभिव्यक्ति बतला दे..
वही भाषा श्रेष्ठ है.
वही भाषा श्रेष्ठ है……
*‘ अरुणा मनवर “