आकृति त्यागी
उनकी पोती,निहारिका कभी झूला झूलती,कभी स्लाइड पर तो कभी टेंपोलिन पर खेलती थी।
एक दिन उसे खेलते हुए बहुत ज्यादा पसीना आ रहा था। तभी उसने दादाजी से आकर पानी मांगा।
निहारिका ” दादाजी मुझे बहुत प्यास लगी है, पानी पीना है।”
दादाजी ” बेटा पसीना आता है तो पानी नहीं पीते,वरना फीवर हो जायेगा।”
निहारिका अभी 8,9 साल की बच्ची थी।दादा जी की बात ना समझते हुए उसने रोना शुरू कर दिया।
दादा जी ” अच्छा चुप करो, लो पियो पानी जो होगा देखा जायेगा।”
निहारिका ने पानी पिया। जब निहारिका घर पहुंची तो वही हुआ जिसका दादा जी को डर था।
निहारिका को बहुत तेज फीवर हो गया।
अंजू ” अरे,पापाजी निहारिका को फीवर कैसे हो गया? ये तो अच्छी भली गई थी खेलने, इसके पापा भी नहीं आए अभी, डॉक्टर के पास कैसे जाऊं?”
दादाजी ” क्या बताऊं बहु, पसीनों में पानी पी लिया।मैने मना किया था लेकिन नही मानी । ऐसा करो जब तक अमन आता है इसके सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां रख दो और कोई बुखार की दवाई गोली रखी हो तो वो देदो।”
अंजू ” बस कीजिए पापाजी, क्या अनपढ़ों की तरह बातें करते हैं। हमारी एक ही बेटी है । हम इसे अच्छे डॉक्टर को दिखाएंगे। कुछ नहीं होगा पट्टियां रखने से।”
दादाजी बिचारे डांट सुनकर अपने कमरे में बैठ गए। रात के 10 बज चुके थे।आज अमन को भी जरूरी काम था।
अंजू ने भी पट्टियां नहीं रखी । निहारिका की हालत नाजुक हो गई ।
अंजू बार बार अमन को कॉल कर रही थी लेकिन उसने फोन नही उठाया।
निहारिका की आंखें भी नहीं खुल रही थी। दादाजी ने उसकी ऐसी हालत देखी तो वो जबरदस्ती निहारिका के कमरे में गए और अंदर से दरवाजा लॉक कर लिया।
अंजू उस वक्त किचन में थी , दरवाजा बंद होने की आवाज सुनकर आई और खिड़की से देखा तो दादाजी निहारिका के सिर पर पट्टियां रख रहे थे।
अंजू खुद से ही ” पता नही,ये पापा जी भी ना मेरी बच्ची को और बीमार न डाल दे, पार्क में तो इसका ध्यान नहीं रख पाते हैं।”
पट्टियां रखने से कुछ देर बाद निहारिका को आराम लगा और उसकी आंखें खुली। वो धीरे धीरे दादाजी से बात कर रही थी।
दादाजी ” बेटा बात बाद में करना,पहले ये दवाई लो।”
अंजू ” अरे इन्हे पता भी है कौनसी दवाई देनी है,पता नही क्या करेंगे । ये अमन भी फोन नहीं उठा रहे।”
अमन का काम खत्म हुआ तो उसने फोन देखा” अरे अंजू के इतने सारे मिस कॉल, पता नहीं क्या बात है ?”
अमन अंजू को फोन करता है ” हेलो अंजू, क्या हुआ सब ठीक तो है ना ?”
अंजू ” क्या ठीक है,निहारिका की हालत गंभीर है उसे फीवर आया है।और पापा जी अपनी डॉक्टरी दिखा रहे हैं।”
अमन “तुमने उन्हें रोका नहीं?”
अंजू ” वो सुनते कब है किसी की ? जल्दी से डॉक्टर को ले कर आओ।”
अमन ” ठीक है तुम चिंता मत करो।”
अमन जल्दी ही गाड़ी लेकर अपने फैमिली डॉक्टर के पास पहुंचा ।
अमन ” डॉक्टर,मेरी बच्ची की हालत गंभीर है प्लीज आप एक्स्ट्रा चार्ज कर लीजिएगा लेकिन इसी वक्त मेरे साथ घर चलिए।”
डॉक्टर और अमन घर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि निहारिका लगभग ठीक थी और दादाजी की गोद में बैठकर कहानियां सुन रही थी।
डॉक्टर ने निहारिका का चेक अप किया ।
डॉक्टर ” बुखार काफी हल्का हो गया है। लेकिन फिर भी दवाइयां दे देता हूं। समय पर दे देना।”
निहारिका ” डॉक्टर अंकल, दवा तो मेरे दादू मुझे दे चुके हैं ,वो भी जादुई दवा।”
डॉक्टर ” अच्छा,क्या दिया आपने बच्चे को ?”
दादाजी ” मैने इसके सिर पर पट्टियां रखी,ताकि इसका टेंपरेचर थोड़ा नॉर्मल हो जाए फिर इसे मैंने पर्सिटामोल लिक्विड सस्पेंशन दिया था जिससे इसे आराम लग गया।”
निहारिका ” हांजी,मुझे पहले आराम नहीं था। लेकिन अब मैं खेल सकती हूं। मेरे दादाजी ने मुझे जादुई दवा दे दी।”
डॉक्टर ” बेटा जादू दवा में नहीं ,आपके दादाजी में हैं। हमारे घर के बड़े हमसे ज्यादा अनुभवी होते हैं । हमें इनकी हर बात माननी चाहिए। अगर हम इनकी बात मानेंगे तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे।”
अंजू ” iam sorry पापाजी,मैं वो गुस्से में बोल गई,मां हूं ना”
दादाजी ” कोई बात नहीं बेटा, मैं भी पिता हूं इसलिए माफ कर दिया। लेकिन तुमने जैसे डॉक्टर साहब की बात का विश्वास किया है अगर मेरा विश्वास करती तो मुझे अच्छा लगता और निहारिका भी जल्दी ठीक हो जाती।”
अमन ” सही कहा,पापाजी आपने। अंजू अब आगे से कभी ऐसा मत करना।”
अमन डॉक्टर को छोड़ने बाहर तक चला गया।
दोस्तों हमें अपने बड़ों की बात का मान रखना चाहिए और कभी भी उनके अनुभवों पर शक नहीं करना चाहिए।
साभार- हिंदी लेखक परिवार के फेसबुक वॉल से