महमूद का कई फिल्मों मे महेश नाम ही होता था

भारत भूषण काटल

Photo Credit -Film Poser (बांबे टू गोवा)

महमूद अली(1932/2004)
फिल्मों में महमूद के नाम से मशहूर महमूद जी का जन्म 1932 में हुआ था इनके पिता जी मुमताज़ अली 1940और 1950के दौर में एक अच्छे मंच और फिल्मों के कलाकार और डांसर थे। एक पुराना गीत ओ जाने वाले बालमवा में उनको अपने स्टेज पर परफॉर्म करते हुए देखा होगा। इनका अक्सर फिल्मों में महेश नाम हुआ करता था और ज्यादातर इनके गीत मन्ना डे साहिब ही गाते थे। धर्मेंद्र जी से इनकी गहरी दोस्ती थी।
महमूद आठ भाई बहनों में दूसरे स्थान पर थे इनकी बड़ी बहन मीनू मुमताज़ भी फिल्मों की एक अच्छी अभिनेत्री थीं जिन्होंंने बहुत से फिल्मों में काम किया। इनके छोटे भाई अनवर अली भी फिल्मों में काम करते थे।

पहली बार महमूद साहेब ने 1943 में फिल्म किस्मत में अशोक कुमार जी के बचपन के रोल किया उसके बाद यह दूसरे छोटे छोटे काम करते रहे। मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने से ले कर राजकुमार संतोषी के पिता पी एल संतोषी के ड्राइवर तक का काम किया। मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने के दौरान उनकी छोटी बहन से इश्क हुआ और 1950 के शुरू में उस से शादी कर ली बड़े लड़के मसूद के जन्म के बाद इनकी जिम्मेदारियां भी बढ़ीं तो इन्होंने अपने काम को संजीदगी से लिया।1956 में गुरु दत्त जी की फिल्म सी आई डी से इनको फिल्मों में पहचान मिली जिस में इन्हों ने एक कातिल की भूमिका निभाई थी।

60 के दशक में ये एक माने हुए हास्य कलाकार बनके उभरे और इनको फिल्मों में हास्य व्यंग का किंग कहा जाने लगा। फिल्मों में फिल्म की कास्ट के आखिर में छोटा सा एंड महमूद लिखा होता था जो के फिल्म की कामयाबी की गारंटी माना जाता था। बड़े बड़े कलाकर इनके साथ फिल्म करने के लिऐ इच्छुक रहते थे। इनको फिल्मों के सीन पर पूरी तरह से पकड़ होती थी। अशोक कुमार से लेकर प्राण तक इनका लोहा मानते थे।

महमूद को फिल्मी दुनिया में भाई जान पुकारा जाता था। जूनियर महमूद को इन्हों ने अपनी शागिर्दी में लिया था ऐसा जूनियर महमूद ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था। अमिताभ बच्चन को लेकर बहत कुछ कहा महमूद साहिब ने अपने एक इंटरव्यू में। उनके मुताबिक अमिताभ बच्चन के पास मुम्बई में जब कोई काम नहीं था तो उनको महमूद साहेब ने अपने घर में अपने बेटे की तरह रखा (महमूद साहिब खुद को अमिताभ बच्चन का रूहानी पिता और गुरु मानते थे)और फिल्म बॉम्बे टू गोवा में अरुणा ईरानी के साथ हीरो का रोल दिया। मगर महमूद साहिब यह शिकायत करना भी नहीं भूले की जब वो हॉस्पिटल में भर्ती थे और उसी हॉस्पिटल में अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश रॉय बच्चन भी भर्ती थे अमिताभ बच्चन अपने पिता से मिलने के लिए वहां आए मगर मेरी मिज़ाज पुरसी के लिए नहीं आए ना कोई संदेश या फुलों का गुलदस्ता भेजा। जिस का उनको बहुत दुःख और मलाल रहा। महमूद साहिब एक अच्छे अभिनेता, गायक,और निर्माता निर्देशक रहे ।
महमूद साहिब ने पड़ोसन और कुंवारा बाप जैसी खुबसूरत फिल्मों का निर्माण किया। पड़ोसन आज भी हिन्दी फ़िल्में में हास्य फिल्मों में मील का पत्थर मानी जाती है। कुंवारा बाप उन्होंने पोलियो से ग्रस्त अपने बेटे के साथ बनाई थी जिस में एक बाप की कहानी है जो अपने पोलियो ग्रस्त बेटे के लिए जीता मरता है। इस फिल्म में इन्होंने रोशन जी के बेटे राजेश रोशन को पहली बार फिल्मों में पेश किया था जो आगे चलकर बहुत बड़े संगीतकार बने।
अरुणा ईरानी, शोभा खोटे, धूमल, ओम प्रकाश, धर्मेंद्र, जतिंद्र, मुमताज़ जैसे कलाकरों से इन्होंने अच्छी जोड़ी बनाई थी।
इनकी फिल्मों की लिस्ट काफी लम्बी है । मुख्तसर सी बात करें तो महमूद साहिब जीनियस कलाकर थे।

इनका देहांत 2004 में अमरीका में सोते समय नींद में ही हुआ था। जहां महमूद भाई अपनी दिल की बीमारी के इलाज के सिलसिले में गए थे इस तरह कॉमेडी के बादशाह महमूद ने जहांनेफानी को अलविदा बोला।