जन्म के समय नवजात को मां का पीला गाढ़ा दूध पिलाने के लिए सरकार सालों से जागरूकता अभियान चला रही है क्योंकि लोगों में इस दूध को लेकर ज्यादा सही जानकारियां ना होने के कारण कोई भी नवजात वंचित न रहे और ईश्वर के इस जीवनदायिनी संजीवनी से समूचे देश के परिवारों को सेहत का सौभाग्य मिले . नवजात शिशु के लिए मां का पहला पीला गाढ़ा दूध अमृत के समान होता है इस को जन जन तक पहुंचाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह, 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।
विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत डॉ बबीता केन, प्रभारी चिकित्साधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं आयुष-हेल्थ एंड योग वेलनेस सेन्टर,चन्द्रावल के द्वारा चिकित्सालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में डाॅ बबीता केन ने स्तनपान का महत्व बताते हुए कहा कि नवजात शिशु के लिए मां का पहला पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते है संपूर्ण आहार होता है जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए और 6 महीने तक केवल मां को स्तनपान कराना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था के बाद 2 वर्ष तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। शिशु के लिए मां का दूध एक अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है , इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं।यह आसानी से पचता है।दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। शिशु को रोगों से बचाता है।दस्त एवं निमोनिया होने की संभावना कम रहती है। शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है। संगोष्ठी में योग प्रशिक्षक रमाशंकर,योग प्रशिक्षिका सुमन भारती,योग सहायक सोनू गौतम,भृत्य संजीव कुमार अग्निहोत्री ,स्वच्छक रामस्वरूप व चिकित्सालय में आयी महिलाओं व ग्राम वासियों की सहभागिता रही।